इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पनामा मामले में उनके इस्तीफे की मांग के बीच गुरुवार को साफ कर दिया कि वह किसी के दबाव में आकर इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने यह फैसला कैबिनेट की एक आपातकालीन बैठक के बाद सुनाया है। जॉइंट इन्वेस्टिगेशन टीम (JIT) ने रिपोर्ट में शरीफ और उनके परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज करने की सिफारिश की है।
खबर के मुताबिक, इस्लामाबाद में बुलाई गई एक आपातकालीन कैबिनेट बैठक में शरीफ (67) ने संयुक्त जांच दल (JIT) की रिपोर्ट को आरोपों और कयासों का पुलिंदा बताया। रिपोर्ट के जारी होने के बाद से ही प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांग रहे विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुये शरीफ ने कहा, ‘मुझे पाकिस्तान के लोगों ने निर्वाचित किया है और सिर्फ वे ही मुझो पद से हटा सकते हैं।’ शरीफ ने दावा किया कि उनके परिवार ने राजनीति में आने के बाद कमाया कुछ नहीं, गंवाया बहुत कुछ। उन्होंने कहा कि JIT की रिपोर्ट में इस्तेमाल भाषा दुर्भावनापूर्ण इरादे दिखाती है।
शरीफ ने कहा, ‘जो लोग अनावश्यक और झूठे दावों पर मेरा इस्तीफा मांग रहे हैं उन्हें पहले अपने गिरेबां में झांककर देखना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि वह वह साजिशकर्ताओं की मांग पर इस्तीफा नहीं देंगे। अखबार के मुताबिक, मंत्रिमंडल के सदस्यों ने सुझााव दिया कि शरीफ को खुद को साबित करने के लिये पनामा पेपर मामले में कानूनी जंग लड़नी चाहिए। 6 सदस्यों वाली JIT ने शरीफ परिवार के कारोबारी लेनदेन की जांच की और इसके बाद 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। JIT ने अनुशंसा की थी कि शरीफ उनके बेटे हसन और हुसैन तथा बेटी मरियम के खिलाफ राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (NAB) अध्यादेश 1999 के तहत भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
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