इस्लामाबाद: पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली ने शुक्रवार को बच्चों की हत्या व यौन उत्पीड़न के लिए दोषी करार दिए गए अपराधियों को सार्वजनिक रूप से फांसी देने का प्रस्ताव बहुमत से पारित किया। पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, संसदीय कार्य राज्य मंत्री अली मुहम्मद खान द्वारा प्रस्ताव पेश किया गया और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सांसदों को छोड़कर सभी ने इसका समर्थन किया। PPP के नेता व पूर्व प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ ने कहा, ‘सजा को कठोर कर देने से अपराध में कमी नहीं होती है।’
परवेज अशरफ ने कहा, ‘हम सार्वजनिक फांसी को व्यवहार में नहीं ला सकते। यह संयुक्त राष्ट्र के कानूनों का उल्लंघन है।’ वह प्रस्ताव के खिलाफ आवाज उठाने वालों में अकेले नहीं थे। पाकिस्तान के विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी ने भी इसकी कड़ी आलोचना की। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘यह एक भयावह कृत्य है। समाज एक संतुलित तरह से कार्य करता है। अपराध का बर्बरता जवाब नहीं है। यह अतिवाद की एक और अभिव्यक्ति है।’ इस बीच मानव अधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने स्पष्ट किया कि ‘प्रस्ताव सरकार द्वारा प्रायोजित नहीं है, बल्कि एक इंडिविजुअल एक्ट है।’
बाल अधिकार संगठन साहिल द्वारा पिछले सितंबर में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में मीडिया द्वारा जनवरी से जून तक बच्चों के यौन उत्पीड़न के 1,304 मामले सामने आए। इसका मतलब है कि हर रोज करीब सात बच्चों का यौन उत्पीड़न किया गया। इस तरह के मुद्दे व्यापक रूप से बने रहने व सरकार की ऐसे मामलों की जांच या संबंधित कानूनों के क्रियान्वयन में खामियों को दूर करने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं करने को लेकर खासी आलोचना हुई है।
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