इस्लामाबाद: पूरी दुनिया के सामने कश्मीर में 'मानवाधिकारों के उल्लंघन' का रोना रोने वाला पाकिस्तान मानवाधिकारों को लेकर खुद कितना गंभीर है, इसका अंदाज देश के ठप पड़े मानवाधिकार आयोग की दशा से लगाया जा सकता है। 'डॉन' में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग बीते तीन महीने से काम नहीं कर रहा है। इसके चेयरमैन और सदस्यों का पद खाली पड़ा है लेकिन तीन महीने बीत जाने के बाद भी नियुक्ति की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि चेयरमैन और सात में से छह सदस्यों का कार्यकाल बीती 30 मई को समाप्त हो चुका है। आयोग के कर्मचारियों को तो यहां तक अंदेशा है कि प्रधानमंत्री और संसद में नेता विपक्ष के बीच के कड़वे संबंधों के कारण यह फिर से काम करने की स्थिति में आता नहीं दिख रहा है।
मानवाधिकार मामलों के मंत्रालय के महानिदेशक मोहम्मद अरशद ने 'डॉन' को बताया कि चेयरमैन और सदस्यों के पदों पर नियुक्ति का विज्ञापन फिर से जारी किया जाएगा। लेकिन, पूर्व के अनुभवों को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि नियुक्ति की इस प्रक्रिया को पूरा होने में छह से सात महीने लग सकते हैं।
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