इस्लामाबाद: रूढ़िवादी मुस्लिम बहुल पाकिस्तान ने धार्मिक अल्पसंख्यकों का जबरन धर्मांतरण रोकने और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कानून का मसौदा बनाने के लिए 22 सदस्यीय संसदीय समिति गठित की है। मीडिया में शनिवार को आई खबर में यह जानकारी दी गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक सीनेट के अध्यक्ष सादिक संजरानी ने नेशनल असेंबली के स्पीकर असर कैसर, सीनेट के नेता सदन शिबली फराज और नेता प्रतिपक्ष राजा जफ़रुल हक से परामर्श कर समिति का गठन किया। इस संबंध में सीनेट सचिवालय ने 21 नवंबर को अधिसूचना जारी की।
धार्मिक मामलों के मंत्री नूरुल हक कादरी, मानवाधिकार मंत्री शीरीन मजरी और संसदीय मामलों के राज्यमंत्री अली मुहम्मद खान इस समिति के हिस्सा होंगे। समिति में सीनेट सदस्य अशोक कुमार भी शामिल है। नेशनल असेंबली सदस्य मलिक मुहम्मद अमिर डोगर, शुनिला रूथ, जय प्रकाश, लाल चंद, मुहम्मद असलम भूटानी, राणा तनवीर हुसैन, डॉ.दर्शन, केशोमल खीअल दास, शगुफ्ता जुमानी, रमेश लाल, नवीद अमिर जीवा और अब्दुल वासेय भी इस समिति के सदस्य हैं।
समिति अपनी पहली बैठक में संदर्भ बिंदु पर फैसला करेगी। हालांकि, बैठक की कोई तारीख अब तक तय नहीं की गई है। उल्लेखनीय है कि यह समिति सितंबर महीने में सिंध प्रांत में एक हिंदू लड़की का कथित अपहरण कर धर्मांतरण करने की घटना के बाद गठित की गई है। इसके बाद हिंदू समुदाय ने जबरन धर्मांतरण के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था। आपको बता दें कि पाकिस्तान से अक्सर ही अल्पसंख्यकों के शोषण और उनके जबरन धर्मांतरण की खबरें आती रहती हैं। इन घटनाओं की सबसे ज्यादा शिकार अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियां होती हैं।
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