लाहौर: पाकिस्तान की एक अदालत ने मुम्बई हमले पर बयान देने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के खिलाफ देशद्रोह के आरोप में मुकदमा दर्ज किये जाने के आग्रह संबंधी तीन याचिकाओं को आज खारिज कर दिया। शरीफ ने सीमा पार करने और मुम्बई में लोगों की ‘‘ हत्या ’’ करने के लिए सरकार इतर तत्वों को इजाजत देने की पाकिस्तान की नीति पर पिछले सप्ताह एक साक्षात्कार में सवाल उठाया था। उन्होंने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था कि देश में आतंकवादी संगठन सक्रिय है। उनके इस बयान से एक बड़ा विवाद छिड़ गया था। राष्ट्रीय सुरक्षा समिति ने मुम्बई आतंकवादी हमले के बारे में शरीफ के ‘‘ भ्रामक ’’ बयान की निंदा की थी और इसे ‘‘ गलत और भ्रामक ’’ बताया था। (इस्राइल ने किए गाजा में हमास के ठिकाने पर हवाई हमले )
लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मोहम्मद मिर्जा ने विपक्षी पाकिस्तान तहरीक - ए - इंसाफ ( पीटीआई ) और पाकिस्तानी आवामी तहरीक ( पीएटी ) और वकील अब्दुल्ला मलिक द्वारा दायर तीन याचिकाओं को खारिज कर दिया। याचिकाओं की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति मिर्जा ने कहा कि ये याचिकाएं विचारणीय नहीं है। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि शरीफ ने देश की छवि खराब की है। नवाज शरीफ (68) पहले से ही पनामा पेपर्स मामले में भ्रष्टाचार के तीन मामलों का सामने कर रहे है।
गत 12 मई को डॉन में शरीफ के साक्षात्कार को लेकर विपक्षी पार्टियों ने अदालत का रूख किया था। 2008 के मुम्बई हमलों पर शरीफ के विवादास्पद बयान के लिए उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किये जाने की मांग को लेकर देश की तीन प्रांतीय एसेंबलियों में शरीफ के खिलाफ प्रस्ताव भी लाये गये थे।
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