रावलपिंडी: पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार को सत्ता से हटाने के लिए ‘आजादी मार्च’ अभियान चला चुके जमीयते उलेमाए इस्लाम (फजल) के नेता मौलाना फजलुर्रहमान एक बार फिर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते नजर आ रहे हैं। मौलाना ने कहा है कि मदरसा पाठ्यक्रम सुधार और इसके नाम पर धार्मिक शिक्षा नीति में किसी भी बदलाव को स्वीकार नहीं किया जाएगा। रावलपिंडि में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए मौलाना ने कहा कि मदरसों को आतंकवाद से जोड़ना एक गलत सोच है।
मौलाना ने कहा कि मदरसे पाकिस्तान में शिक्षा का प्रसार कर रहे हैं और समाज में शांति की दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने इससे पहले इस्लामाबाद में भी कहा था कि मदरसों में सुधार की कवायद निंदनीय है और इसका समाज पर बहुत नकारात्मक असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी की केंद्रीय समिति ने शिक्षा मंत्रालय की इस कवायद के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन छेड़ने का फैसला किया है। मौलाना ने कहा कि उनकी पार्टी सरकारी खजाने से मदरसे के विद्यार्थियों को मानद राशि देने का भी विरोध करती है।
मौलाना ने कहा, ‘किसी भी मदरसे के छात्र सरकार से पैसे नहीं लेंगे। यह मदरसों के खिलाफ साजिश है। अमेरिका और पश्चिमी जगत मदरसों के पाठ्यक्रम में बदलाव चाहते हैं और इसके लिए वे अरबों डॉलर खर्च करने के लिए तैयार हैं। जो ताकतें मदरसों के पाठ्यक्रम को विश्व शांति के लिए खतरा बता रही हैं, हम उनसे कहना चाहते हैं कि उन्हीं की नीतियां दुनिया में उग्रवाद के लिए जिम्मेदार हैं।’ सरकार के खिलाफ एक और आंदोलन छोड़ने की बात करने वाले मौलाना कहा कि लोग जल्द ही बदलाव देखेंगे और 'आजादी मार्च' के झटके कराची से इस्लामाबाद तक महसूस किए जाएंगे।
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