पाकिस्तान ने की दिल्ली में हुए विरोध-प्रदर्शनों की सराहना, अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन से की यह मांग
अपनी आदतों से मजबूर पाकिस्तान ने एक बार फिर कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को लेकर टिप्पणी की है। पाकिस्तान इस आंदोलन की आड़ में भारत के खिलाफ दुनियाभर के देशों का समर्थन जुटाने में लगा है।
इस्लामाबाद: गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों की ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के बाद से दिल्ली की सीमाओं पर ज़बरदस्त घमासान मचा हुआ हुआ। सिंघु बॉर्डर से लेकर टीकरी बॉर्डर तक टेंशन हाई है। स्थानीय लोग बॉर्डर खाली कराने के लिए सड़क पर आ गए हैं। इस दौरान सिंघु बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसानों से उनकी झड़प भी हुई है। चौंकाने वाली बात ये है कि झड़प के दौरान पुलिस पर एक बार फिर तलवार से हमला किया गया है जिसमें अलीपुर के SHO घायल हो गए। कई और भी पुलिसवालों को भी चोट आई है। पुलिस का आरोप है कि सतनाम सिंह पन्नू और सरवन सिंह पंढेर के उकसाने के बाद उन पर तलवार से हमला किया गया।
वहीं अपनी आदतों से मजबूर पाकिस्तान ने एक बार फिर कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को लेकर टिप्पणी की है। पाकिस्तान इस आंदोलन की आड़ में भारत के खिलाफ दुनियाभर के देशों का समर्थन जुटाने में लगा है। पाकिस्तान के विदेश मामलों की संसदीय समिति ने 26 जनवरी को दिल्ली में हुए प्रदर्शनों की सराहना की और सिख किसानों के प्रति एकजुटता जाहिर की।
इतना ही नहीं समिति ने इमरान सरकार को सलाह दी है कि वह इस मुद्दे को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सामने उठाए। इस्लामाबाद में पार्लियामेंटरी हाउस में हुई समिति की बैठक की अध्यक्षता सांसद मुशैद हुसैन सैय्यद ने की। ये बैठक करीब साढ़े तीन घंटे चली।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी इस बैठक में मौजूद थे। विदेश मामलों की संसदीय समिति ने कहा, ‘पाकिस्तान की सरकार सुनिश्चित करे कि आरएसएस जो भारत सरकार में अतिवाद की जड़ है, उसे हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेनकाब किया जाए।’
समिति ने कहा, मोदी सरकार के अत्याचारों के खिलाफ 26 जनवरी को विरोध कर रहे लोगों के लिए ब्लैक डे था। मोदी सरकार को आगे की घटनाओं का अंदेशा हो जाना चाहिए। समिति ने कहा, नई दिल्ली में लाल किले पर सिख किसानों ने जो पवित्र झंडा फहराया। ये समिति सिख किसानों के साथ है।
बता दें कि किसानों को गणतंत्र दिवस परेड के आयोजन के बाद तय मार्ग पर ट्रैक्टर परेड़ की अनुमति दी गई थी, लेकिन इन शर्तों का उल्लघंन हुआ। कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प हुई और लाठीचार्ज किया गया। प्रदर्शनकारियों के इन समूहों में अनेक युवा थे जो मुखर और आक्रामक थे। पुलिस ने कुछ जगहों पर अशांत भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।
वहीं आईटीओ पर सैकड़ों किसान पुलिसकर्मियों का लाठियां लेकर दौड़ाते और खड़ी बसों को अपने ट्रैक्टरों से टक्कर मारते दिखे। एक ट्रैक्टर के पलट जाने से एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई। आईटीओ एक संघर्षक्षेत्र की तरह दिख रहा था जहां गुस्साये प्रदर्शनकारी एक कार को क्षतिग्रस्त करते दिखे। सड़कों पर ईंट और पत्थर बिखरे पड़े थे। यह इस बात का गवाह था कि जो किसान आंदोलन दो महीने से शांतिपूर्ण चल रहा था अब वह शांतिपूर्ण नहीं रहा।
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