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Hindi News विदेश एशिया उइगर मुसलमानों के अधिकारों पर पाकिस्तान-तुर्की का ढोंग आया सामने, चीन के खिलाफ बोलती बंद

उइगर मुसलमानों के अधिकारों पर पाकिस्तान-तुर्की का ढोंग आया सामने, चीन के खिलाफ बोलती बंद

जब बात पाकिस्तान और तुर्की की आती है, तो मुस्लिमों के अधिकारों के प्रति उनका समर्थन बेहद चुंनिदा प्रतीत होता है।

Pakistan Uyghur China, Turkey Uyghur China, Pakistan Uighur China- India TV Hindi Image Source : AP FILE उइगर मुसलमानों के अधिकारों के मुद्दों पर पाकिस्तान और तुर्की के नेता बोलने से बचते रहे हैं।

नई दिल्ली/इस्लामाबाद/अंकारा: इजराइल और फिलीस्तीन के बीच हुए संघर्ष ने कई चीजें स्पष्ट करके सामने रख दी हैं। मसलन, जब बात पाकिस्तान और तुर्की की आती है, तो मुस्लिमों के अधिकारों के प्रति उनका समर्थन बेहद चुंनिदा प्रतीत होता है। कहीं न कहीं यह भू-राजनीतिक गणनाओं पर भी आधारित है। हाल ही में गाजा पर हुए इजराइल और फिलीस्तीनी हमास के बीच लड़ाई में दोनों ही देश फिलीस्तीनी अधिकारों की हिमायत करने की कोशिश में दिखे, लेकिन जब बात शिनजियांग में बसे उइगर समुदाय के मानवाधिकारों के हनन की आई, तो ये चीन को नाखुश करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।

सामने आया पाकिस्तान का दोहरा मापदंड
इस्लामिक मुद्दों का समर्थन करने में पाकिस्तान दोहरे मापदंड को अपनाता है। यह बात तब सामने आई, जब पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी दो दिवसीय यात्रा पर तुर्की गए और फिर फिलीस्तीन के मुद्दे और इजराइल में मुसलमानों के अधिकारों पर चर्चा करने के लिए न्यूयॉर्क गए। यूरोप से अमेरिका की उड़ान में उनके साथ तुर्की, फिलीस्तीन और सूडान के विदेश मंत्री भी थे, जिन्होंने मुसलमानों के दमन के लिए सामूहिक आवाजें उठाई थीं। न्यूयॉर्क में सीएनएन द्वारा जब पूछा गया कि पाकिस्तान चीन में हो रहे उइगरों के नरसंहार का मुद्दा क्यों नहीं उठा रहा है, तो इसका जवाब देने में पाकिस्तानी विदेश मंत्री विफल रहे।

CNN पत्रकार के सवाल को यूं टाल गए कुरैशी
CNN के पत्रकार के सवाल के जवाब में कुरैशी ने बस इतना ही कहा, ‘आप जानते ही हैं कि चीन और पाकिस्तान आपस में काफी अच्छे दोस्त हैं। उन्हें कई उतार-चढ़ाव में हमारा साथ दिया है। हमारे पास आपस में बात करने के लिए कई सारे मुद्दे हैं। हम अपने राजनयिक चैनलों का उपयोग करते हैं। हम हर बात पर सार्वजनिक रूप से चर्चा कर पाने में सक्षम नहीं हैं।’ CNN के पत्रकार ने फिर पूछा, ‘लेकिन किसी देश में हो रहे मानवाधिकारों के प्रति आप आंखें मूंदकर तो नहीं रह सकते हैं। क्या आपके प्रधानमंत्री ने कभी इस पर चर्चा की है?’ इसके जवाब में कुरैशी ने कहा, ‘मैम, एक काम को करने का हमेशा एक तरीका होता है और हम अपनी जिम्मेदारियों से बेखबर नहीं हैं।’

तुर्की ने भागे हुए उइगरों को चीन को सौंपा
पाकिस्तान के विदेश मंत्री के इन जवाबों से साफ झलकता है कि वह चीन जैसे किसी शक्तिशाली देश के खिलाफ नहीं बोल सकते है, भले ही वह उनके मुस्लिम भाइयों के प्रति नरसंहार को अंजाम दे। यह रवैया सिर्फ पाकिस्तान द्वारा ही अपनाया नहीं जाता है, बल्कि तुर्की भी इस श्रेणी में शामिल हैं। इससे भी बुरी बात यह है कि इन दोनों ने भागे हुए उइगरों के खिलाफ कार्रवाई करने में चीन की मदद की है। पिछले कई सालों में इन दोनों मुस्लिम देशों के द्वारा उइगरों को वापस चीन में भेज दिया गया है। यह जानते हुए भी इनका अंजाम वहां क्या होने वाला है।

’चीन की हिरासत में हैं एक लाख मुसलमान'
पिछले महीने ही ह्यूमन राइट्स वॉच ने 53 पन्नों की एक रिपोर्ट में कहा था कि चीन ने अपने पश्चिमी क्षेत्र में एक लाख मुसलमानों को हिरासत में ले लिया है क्योंकि उनके द्वारा इस अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ दमन अभियान चलाया जा रहा है। इस्लामिक राष्ट्रों के इस रवैये से चीन इस कदर उत्साहित है कि उसकी चाह अब तुर्की के साथ प्रत्यर्पण संधि करने की है। जाहिर सी बात है कि इससे उइगर समुदाय में काफी डर होगा, जो अपनी जान बचाने के लिए तुर्की में रह रहे हैं। (IANS)

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