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टेरर फंडिंग की वजह से पाकिस्तान पर बड़ी कार्रवाई, FATF ने किया ब्लैकलिस्ट

FATF ने पाया है कि 40 में से 32 मानकों पर पाकिस्तान नाकाम रहा है। ब्लैकलिस्ट होने के बाद अब पाकिस्तान पाई-पाई को मोहताज हो जाएगा और उसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और विदेश से कर्ज लेना तकरीबन नामुमकिन हो जाएगा।

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नई दिल्ली: आतंकी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने और धन शोधन पर निगरानी रखने वाली वैश्विक निगरानी संस्था ‘फिनांशियल एक्शन टास्क फोर्स’ (एफएटीएफ) के एशिया-प्रशांत समूह ने पाकिस्तान को ईईएफयूपीएल (कालीसूची) में डाल दिया है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। पाकिस्तान को ‘इन्हांस्ड एक्सपेडाइट फॉलो अप लिस्ट’ (ईईएफयूपीएल) में डालते हुए एशिया प्रशांत समूह (एपीजे) ने यह भी पाया कि पाकिस्तान ने धन शोधन और आतंकवाद के वित्त पोषण संबंधी 40 अनुपालन मानकों में से 32 का पालन नहीं किया। 

एफएटीएफ एपीजी की बैठक ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में आयोजित की गई और शुक्रवार को समाप्त हुई बैठक में दो दिन में करीब सात घंटे से ज्यादा समय तक चर्चा चली। भारत एपीजी और एफएटीएफ दोनों का सदस्य है। इस बैठक में गृह, विदेश मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की टीम ने प्रतिनिधित्व किया। एपीजी में पाकिस्तान के कई मंत्रालयों की टीम का नेतृत्व स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर ने किया। 

घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक भारतीय अधिकारी ने बताया, ‘‘एपीजे ने पाकिस्तान को मानकों पर खरा नहीं उतरने की वजह से ईईएफयू लिस्ट (काली सूची) में डाल दिया।’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे समूहों के वित्त पोषण को रोकने में विफल रहा है। पाकिस्तान के अनुपालन रिकॉर्ड की समीक्षा वाली कार्रवाई अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस ने पेश की। आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराना और धन शोधन के 11 प्रभावी मानकों में से पाकिस्तान 10 में खरा नहीं उतर पाया। 

वहीं एक अन्य अधिकारी ने बताया कि अब पाकिस्तान को अक्टूबर में काली सूची में जाने से बचने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। अक्टूबर में एफएटीएफ की 27 बिंदू कार्ययोजना की समय-सीमा समाप्त हो जाएगी। यह लगभग निश्चित है कि पाकिस्तान एफएटीएफ की ‘काली सूची’ में बना रहेगा और यह भी पूरी संभावना है कि एफएटीएफ की ‘काली सूची’ में देश का दर्जा और घटेगा क्योंकि इसका अगला पूर्ण अधिवेशन अक्टूबर में पेरिस में होगा।

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