इस्लामाबाद: पाकिस्तान के विपक्षी दलों ने देशद्रोह के मामले में पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ की सजा एक शीर्ष अदालत द्वारा निरस्त किए जाने पर आपत्ति जताई है। मुशर्रफ इस समय स्व-निर्वासन में रह रहे हैं। लाहौर उच्च न्यायालय ने पूर्व सेना प्रमुख को फांसी की सजा सुनाने के विशेष अदालत के निर्णय को सोमवार को ‘‘असंवैधानिक’’ करार दिया। विशेष अदालत ने देशद्रोह के मामले में छह साल तक चली सुनवाई के बाद 17 दिसंबर 2019 को 74 वर्षीय मुशर्रफ को फांसी की सजा सुनाई थी।
परवेज मुशर्रफ इस समय स्व-निर्वासन में दुबई में रह रहे हैं। डॉन अखबार के अनुसार पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएलएन) ने फांसी की सजा निरस्त करने के उच्च न्यायालय के निर्णय पर हैरानी और आपत्ति जताई। पीपीपी के केंद्रीय मीडिया कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया कि निर्णय से पार्टी चकित है। पार्टी सांसद नफीसा शाह के हवाले से खबर में कहा गया, ‘‘कानून के शासन के लिए आज का दिन दुर्भाग्यपूर्ण है।’’ उन्होंने कहा कि मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाने वाली विशेष अदालत का गठन पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने किया था और इसमें देश के तीन उच्च न्यायालयों से न्यायाधीश शामिल थे।
शाह ने कहा कि विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की जा सकती थी, न कि उच्च न्यायालय में। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के हत्यारों को भी अब तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। पीएमएल-एन के सीनेटर मुशाहिदुल्ला खान ने भी निर्णय पर आपत्ति जताई।
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