इस्लामाबाद: आतंकवाद, उग्रवाद और पृथकतावाद से ग्रस्त पाकिस्तानी सरकार ने आज 1800 से अधिक इस्लामिक विद्वानों के दस्तखत से धार्मिक उद्देश्य के लिये आत्मघाती विस्फोट करने समेत हिंसा करने वालों के खिलाफ फतवा जारी किया। इस्लामाबाद की इंटरनेशनल इस्लामिक युनिवर्सिटी की देख-रेख में तैयार किये गये फतवे को ‘पैगाम-ए-पाकिस्तान’ का नाम दिया गया और यहां एक भव्य समारोह में जारी किया गया। (अमेरिका हमें समझा रहा है कि भारत हमारे लिए खतरा नहीं है: पाकिस्तान)
पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने फतवा जारी करने के मौके पर उपस्थित जनसभा को संबोधित करते हुये कहा कि यह पहल इस बात को व्यक्त करता है कि पूरा देश इस मुद्दे पर बेहद गंभीर है। उन्होंने आतंकवादियों और इस्लामिक कट्टपंथियों का हवाला देते हुये कहा, ‘‘मुझे भरोसा है कि इस्लाम की सच्ची शिक्षा के प्रकाश में किया गया यह निर्णय उनका हृदय परिवर्तन कर देगा और उनके उद्धार का मार्ग प्रशस्त करेगा।’’
गौरतलब है कि यह फतवा ऐसे समय में जारी किया गया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को अपनी धरती से पनपने वाले आतंवादी समूहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की हाल में चेतावनी जारी की थी। पाकिस्तान सरकार ने एक बयान में कहा कि यह फतवा चरमपंथ और आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान की कटिबद्धता का हिस्सा है। धार्मिक विद्वानों सांसदों, बुद्धिजीवियों और नीति निर्माताओं ने इसका समर्थन किया है। फतवे में सशस्त्र संघर्ष को देश, उसकी सरकार अथवा सशस्त्र बलों के खिलाफ बताया गया है। इसमें कहा गया है कि इस्लामिक संविधान के प्रावधान को लागू करना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन यह इसके लिये बलों के प्रयोग को प्रतिबंधित करता है।
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