वाशिंगटन: उत्तर कोरिया में खुफिया अभियान के तहत वहां छह महीने गुजार चुकीं दक्षिण कोरिया की पत्रकार का कहना है कि उत्तर कोरिया के नागरिकों को भावी सैनिकों के रूप में तैयार किया जाता है और वहां आजादी नाम की कोई चीज नहीं है। उत्तर कोरिया में 2011 में छह महीने खुफिया मिशन पर रही पत्रकार सुकी किम ने शनिवार को सीएनएन को बताया, "वहां जवानों की जिंदगी पूरी तरह से देश के सर्वोच्च नेता के अनुसार ही योजनाबद्ध होती है। बाहर से किसी तरह की सूचना पर रोक है। यह पूरी तरह से बेड़ियों में जकड़ी हुई प्रणाली है।" (पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होंगे चीन के उपप्रधानमंत्री )
किम ने सीएनएन को बताया, "उत्तर कोरिया को समझने के बाद कह सकती हूं कि वहां पर सैन्य तानाशाही है और संचार व्यवस्था पूरी तरह से बाधित है।" वह कहती हैं, "जब आप पूरे विश्व को अपने देश से पूरी तरह से काट देते हैं तो आप ऐसे में अपने लोगों को अन्य चीजों के बारे में कैसे बता पाएंगे?"
किम ने कहा कि उत्तर कोरिया के विश्वविद्यालय की कंप्यूटर शिक्षा कार्यक्रम में इंटरनेट का नामोंनिशान नहीं है। वहां एक इमारत है, जहां आप देश के सर्वोच्च नेताओं के बारे में पढ़ सकते हैं। आप वहां जाइए और पढ़े। किम के मुताबिक, वहां नागरिकों के लिए सिर्फ एक ही समाचार पत्र और एक ही टीवी चैनल है, जिस पर नेताओं का गुणगान होता है। किम कहते हैं, "यह दुनिया का सबसे दुखद स्थान है।"
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