अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र की सभी चेतावनियों को नजरअंदाज कर एक बार फिर उत्तर कोरिया ने यह साबित करने की कोशिश की है कि वह अमेरिका से नहीं डरता। परमाणु हथियारों के साथ-साथ अब उत्तर कोरिया जैविक हथियार भी विकसित कर रहा है। उत्तर कोरिया के इस कदम ने दुनिया को चिंता के बादलों से घेर दिया है। हाल ही में प्रकाशित हुई अमेरिकी थिंकटैंक बैल्फर सेंटर की रिपोर्ट में इसे लेकर आगाह किया गया है। (अपने पहले दौरे पर आज पाकिस्तान जाएंगे अमेरिकी विदेश सचिव)
इस रिपोर्ट के अनुसार, किम जोंग उन न्यूक्लियर या केमिकल बम ही नहीं, बल्कि प्लेग और चेचक जैसे बीमारियां फैलाने वाले खतरनाक जैविक बम बना रहा है। अमेरिका ने कोरियाई प्रायद्वीप पर जिन जैविक हथियारों का इस्तेमाल किया था उत्तर कोरिया भी उसी का इस्तेमाल करके बम बना रहा है। रिपोर्ट के अनुसार उत्तर कोरिया बायोलॉजिकल हथियारों पर फोकस कर रहा है जिससे अनेकों बीमारियां फैलेंगी। रिपोर्टस की माने तो उत्तर कोरिया की ओर से तैयार किए जाने वाले हथियारों से प्लेग, ऐंथ्रेक्स, स्मॉलपॉक्स और रक्तस्रावी जैसी बीमारियां हो सकती है। रिपोर्ट में उत्तर कोरिया के पूर्व राजनयिक ताए योउंग-हो के हवाले से कहा गया कि उत्तर कोरिया ने 1960 के दशक में ही केमिकल और जैविक हथियार विकसित करने का काम शुरू कर दिया था।
साल 1950 से 1953 के बीच उत्तर कोरिया में हैजा, टाइफस, टाइफाइड और चेचक से हजारों की संख्या में लोग मौत के आगोश में समा गए थे। इसके लिए उत्तर कोरिया ने अमेरिकी के जैविक हथियारों को जिम्मेदार ठहराया था। दक्षिण कोरियाई रक्षा विभाग के व्हाइट पेपर के मुताबिक उत्तर कोरिया ने 1980 के दशक में बायोलॉजिकल एजेंटों को हथियार की तरह इस्तेमाल करने की तैयारी शुरू कर दी थी।
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