सियोल: उत्तर कोरिया ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन पर पहली बार निशाना साधते हुए अमेरिका को आगाह किया कि अगर वे अगले 4 साल तक ‘आराम से सोना’ चाहते हैं तो कोई भी अप्रिय स्थिति पैदा ना करें। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन उत्तर कोरिया और अन्य क्षेत्रीय मुद्दों पर जापान और दक्षिण कोरिया से बात करने के लिए एशिया गए हैं, जिसके बाद उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की बहन किम यो जोंग ने मंगलवार को यह बयान जारी किया। दोनों मंत्री तोक्यो में मंगलवार को वार्ता करेंगे और अगले दिन सियोल में अधिकारियों से मिलेंगे।
‘अगर 4 साल आराम से सोना चाहते हैं तो...’
उत्तर कोरिया के अंतर-कोरियाई मामले संभालने वाली किम यो जोंग ने कहा कि वह इस मौके का इस्तेमाल अमेरिका के नए प्रशासन को सलाह देने के लिए भी करना चाहेंगी, जो उन्हें उकसाने के लिए काफी उतारू है। किम यो जोंग ने कहा, ‘अगर वह अगले 4 साल तक आराम से सोना चाहते हैं, तो उनके लिए अच्छा होगा कि पहला ही कदम ऐसा ना उठाएं, जिससे कोई अप्रिय स्थिति उत्पन्न हो।’ बाइडेन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर शनिवार को बताया था कि अमेरिकी अधिकारियों ने पिछले कुछ महीनों में कई माध्यमों के जरिए उत्तर कोरिया से सम्पर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
‘...तो हम असाधारण कदम उठाएंगे’
वहीं, किम यो जोंग ने यह भी कहा कि उत्तर कोरिया को अगर दक्षिण कोरिया के साथ सहयोग नहीं करना है, तो वह सैन्य तनाव को कम करने के लिए हुए 2018 के द्विपक्षीय समझौते से बाहर आने पर विचार करेगा और अंतर-कोरियाई संबंधों को संभालने के लिए गठित एक दशक पुरानी सत्तारूढ़ पार्टी इकाई को भी भंग कर देगा। प्योंगयांग के आधिकारिक समाचार पत्र ‘रोदोंग सिनमन’ में प्रकाशित बयान के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘हम दक्षिण कोरिया के व्यवहार और उसके रुख पर नजर रखेंगे। अगर उसका व्यवहार और उकसाने वाला हुआ, तो हम असाधारण कदम उठाएंगे।’
‘ऐसे में सहयोग से काम नहीं हो सकता’
गौरतलब है कि दक्षिण कोरिया और अमेरिका के बीच वार्षिक सैन्य अभ्यास पिछले सप्ताह शुरू हुआ था, जो गुरुवार तक चलेगा। किम यो जोंग ने कहा कि एक छोटा अभ्यास भी उत्तर कोरिया के प्रति द्वेषभाव है। इससे पहले भी कई बार, उत्तर कोरिया इस सैन्य अभ्यास को आक्रमण की तैयारी बता चुका है और इसका जवाब मिसाइल परीक्षण करके दे चुका है। उन्होंने कहा, ‘युद्ध अभ्यास और द्वेषभाव के साथ कभी भी वार्ता तथा सहयोग से काम नहीं हो सकता।’
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