रियाद: सऊदी अरब ने इस्राइल के साथ शांति समझौते के लिए एक बड़ी शर्त रखी है। सऊदी ने कहा है कि यदि इस्राइल उसके साथ सार्वजनिक स्तर पर संबंध स्थापित करना चाहता है तो उसे फिलीस्तीन से भी शांति समझौता करना होगा। यदि ऐसा नहीं होता है तो सऊदी किसी भी हाल में इस्राइल के साथ समझौता नहीं करेगा। बता दें कि हाल ही में इस्राइल और संयुक्त अरब अमीरात के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता से हुआ शांति समझौता काफी चर्चा में है।
पर्दे के पीछे हैं सऊदी और इस्राइल के संबंध
ऐसा नहीं है कि सऊदी अरब और इस्राइल के बीच किसी तरह की कोई टेंशन है। दोनों ही देशों के बीच पर्दे के पीछे अच्छे संबंध हैं जिन्हें वे लगातार मजबूत कर रहे हैं। दरअसल, इस्राइल शुरू से ही अमेरिका का खास रहा है और सऊदी को भी अंकल सैम की सरपरस्ती की जरूरत पड़ती है। यही वजह है कि सऊदी एक हद से आगे इस्राइल के खिलाफ बात नहीं कर सकता। दूसरी तरफ, ईरान के चलते भी सऊदी अरब और इस्राइल करीब आए हैं। सऊदी अरब और इस्राइल दोनों ही ईरान के परमाणु हथियार बनाने का विरोध करते हैं।
ईरान के डर का साया बाकी खाड़ी देशों पर भी
ईरान की बढ़ती ताकत खाड़ी के कई देशों के लिए बड़ा खतरा बन सकती है। यही वजह है कि संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और बहरीन जैसे देश इस्राइल के साथ बेहतर संबंध बनाकर अपनी ताकत को बढ़ाना चाहते हैं। इस्राइल के साथ दोस्ती करके ये देश ईरान की ताकत को कम करने की कोशिश कर सकते हैं। वहीं, दूसरी तरफ चीन से तुर्की की बढ़ती करीबी भी इन देशों के लिए चिंता का विषय है। इन देशों के लिए ताकतवर ईरान और तुर्की बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं ऐसे में इस्राइल से मजबूत संबंध विकसित करना इनके लिए वक्त की जरूरत है।
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