इस्लामाबाद: जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनके परिवार के सदस्यों की रिहाई के लिए पाकिस्तान और सऊदी अरब की सरकारों के बीच कोई ‘समझौता’ नहीं हुआ है। यह बात पाकिस्तान के एक वरिष्ठ मंत्री ने कही। इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने एवेनफील्ड भ्रष्टाचार मामले में बुधवार को शरीफ, उनकी बेटी मरियम और दामाद कैप्टन (सेवानिवृत्त) मुहम्मद सफदर की जेल की सजा पर रोक लगा दी थी और उन्हें रावलपिंडी के आदियाला जेल से रिहा कर दिया गया था।
सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा, ‘उनकी रिहाई के लिए किसी भी देश ने नहीं कहा। नवाज शरीफ सऊदी अरब के लिए इतने महत्वपूर्ण नहीं हैं कि वे उनके बारे में बात करेंगे।’ उन्होंने इस बात से इंकार किया कि इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार और रियाद के बीच ‘समझौते’ के तहत 3 बार के पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार के सदस्यों को जेल से रिहा किया गया। डॉन अखबार ने खबर दी कि तीनों को रिहा करने का इस्लामाबाद हाई कोर्ट का फैसला ऐसे समय में आया जब प्रधानमंत्री खान ने सऊदी अरब का दौरा किया, जिससे इस बात के कयास लगाए जाने लगे कि सऊदी अरब के आग्रह पर शरीफ परिवार की रिहाई हुई है।
खबर में बताया गया कि वर्ष 2000 में शरीफ परिवार और तत्कालीन सैन्य तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ के बीच सऊदी अरब ने गारंटर की भूमिका निभाई थी जिससे शरीफ परिवार की जेल से रिहाई हुई थी और उन्हें देश छोड़ने की अनुमति मिली थी। पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच निकट संबंध हैं और पाकिस्तान में जब भी कोई नेता चुनाव जीतता है तो वह सबसे पहले इस खाड़ी देश का दौरा करता है। चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री खान के सऊदी अरब के दौरे में नवाज शरीफ पर कोई चर्चा नहीं हुई। खान ने वहां के शासकों के साथ वार्ता की। उन्होंने दावा किया, ‘वह उतने महत्वपूर्ण नहीं हैं कि दौरे में उन पर चर्चा हो।’
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