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नेपाल की जमीन पर चीन के कब्जे का खुलासा करने वाले पत्रकार की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत

बलराम बनिया ने कुछ ही अरसा पहले ही भारत के साथ कालापानी सीमा विवाद का मुद्दा उठाने वाले नेपाल के रुई गांव पर पिछले 3 साल से चीन ने कब्जे की खबर छापी थी।

Nepali Journalist Dead, Nepali Journalist China Dead, Nepali Journalist Dead China- India TV Hindi Image Source : FACEBOOK FILE कुछ दिनों पहले नेपाल की जमीन पर चीन के कब्जे का खुलासा करने वाले पत्रकार बलराम बनिया की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।

काठमांडू: कुछ दिनों पहले नेपाल की जमीन पर चीन के कब्जे का खुलासा करने वाले पत्रकार बलराम बनिया की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बलराम बनिया नेपाली नागरिक थे एक नेपाली अखबार में काम करते थे। वह बीते 10 अगस्त को रहस्यमय तरीके से लापता हो गए थे और 11 अगस्त, यानी कि मंगलवार को उनका शव नदी के किनारे मिला था। उन्होंने कुछ ही अरसा पहले ही भारत के साथ कालापानी सीमा विवाद का मुद्दा उठाने वाले नेपाल के रुई गांव पर पिछले 3 साल से चीन ने कब्‍जे की खबर छापी थी।

नेपाल के रुई गांव पर हुआ चीन का कब्जा
बलराम की खबर में खुलासा हुआ था कि करीब 60 साल तक नेपाल सरकार के अधीन रहने वाले रुई गांव के गोरखा चीनी शासन के अधीन हो गए हैं। नेपाली अखबार अन्‍नपूर्णा पोस्‍ट की खबर के मुताबिक नेपाल का रुई गांव वर्ष 2017 से चीन के शासन वाले तिब्‍बत के स्‍वायत्‍त क्षेत्र का हिस्‍सा हो गया है। बता दें कि इस गांव में अभी 72 घर हैं। नेपाली नक्शे में अभी भी रुई गांव शामिल है, लेकिन अब वहां चीन का कब्जा है। इस खुलासे के बाद बनिया की मौत ने पूरे मामले पर शक गहरा कर दिया है।

पत्रकार यूनियन ने की गहराई से जांच की मांग
बता दें कि बलराम बनिया की रिपोर्ट से नेपाल की राजनीति गरमा गई थी। बनिया के इस खुलासे के बाद नेपाली विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवली ने दावा किया था कि चीन ने किसी तरह का कब्‍जा नहीं किया है। नेपाल में चीन की राजदूत ने भी इस पर सफाई दी थी। बलराम बनिया की मौत के बाद नेपाल प्रेस यूनियन ने सरकार ने उनकी मौत की गहराई से जांच की मांग की है। अभी तक यह पता नही चल पाया है कि बलराम की मौत आत्महत्या है, हत्या है या फिर दुर्घटना। बता दें कि उनके शरीर और चेहरे पर चोट के काफी निशान भी मिले हैं।

एक समर्पित पत्रकार के रूप में जाने जाते थे बनिया
50 साल के बनिया का शव मकवनपुर के मंडो हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट एरिया के पास मिला था। उनके शव की पहचान शव मिलने के एक दिन बाद बुथवार को ही हो पाई थी। वह कांतिपुर डेली के शुरुआती दिनों से ही उसकी कोर टीम का हिस्सा थे। शुरुआत में एडिटोरियल डिपार्टमेंट में काम करने के बाद उन्होंने रिपोर्टिंग शुरू की थी। उनके साथ काम करने वाले लोग उन्हें एक विलक्षण, जमीन से जुड़े और ईमानदार शख्स के रूप में याद करते हैं। उन्हें काम के प्रति समर्पित एक अच्छे पत्रकार के रूप में जाना जाता था।

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