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सुप्रीम कोर्ट ने संसद भंग किए जाने पर ओली सरकार को जारी किया कारण बताओ नोटिस

प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर रविवार को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी द्वारा प्रतिनिधि सभा भंग करने तथा मध्यावधि चुनाव की तारीखों की घोषणा करने के बाद नेपाल में राजनीतिक संकट पैदा हो गया।

Nepal Supreme Court issues show cause notice against government over dissolving Parliament- India TV Hindi Image Source : PTI ओली की सिफारिश पर राष्ट्रपति विद्या द्वारा प्रतिनिधि सभा भंग करने के बाद नेपाल में राजनीतिक संकट पैदा हो गया।

काठमांडू: नेपाली सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली नीत सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी किया और कहा कि वह संसद को अचानक भंग करने के अपने निर्णय के संबंध में लिखित स्पष्टीकरण पेश करे। ‘माई रिपब्लिका’ समाचार पत्र की एक खबर के अनुसार 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को भंग करने के सरकार के फैसले के खिलाफ दायर रिट याचिकाओं पर प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद नोटिस जारी किया। पीठ ने प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रपति कार्यालय से लिखित स्पष्टीकरण देने को कहा क्योंकि सभी रिट याचिकाओं में उन्हें प्रतिवादी बनाया गया है। 

सुप्रीम कोर्ट ने सदन को भंग करने के लिए सरकार द्वारा की गई सिफारिशों की मूल प्रति भी पेश करने को कहा है। पांच सदस्यीय पीठ में न्यायमूर्ति बिश्वंभर प्रसाद श्रेष्ठ, न्यायमूर्ति तेज बहादुर केसी, न्यायमूर्ति अनिल कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति हरि कृष्ण कार्की शामिल हैं। प्रधान न्यायाधीश राणा की एकल पीठ ने बुधवार को सभी रिट याचिकाओं को संवैधानिक पीठ को सौंप दिया था। 

संसद को भंग करने के सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए कुल 13 रिट याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गयी हैं। इस बीच, सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के दोनों धड़ों के बीच पार्टी पर नियंत्रण को लेकर टकराव तेज होने के बीच प्रधानमंत्री ओली ने शुक्रवार शाम को कैबिनेट की बैठक बुलाई है। 

समाचार पत्र ने सूत्रों का हवाला देते हुए कहा कि संभावना है कि प्रचंड नीत धड़े के सात मंत्रियों के इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल में फेरबदल कर सकते हैं। ओली मंत्रिमंडल में अब 18 सदस्य हैं जिनमें मंत्री और राज्य मंत्री शामिल हैं। 

बता दें कि प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर रविवार को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी द्वारा प्रतिनिधि सभा भंग करने तथा मध्यावधि चुनाव की तारीखों की घोषणा करने के बाद नेपाल में राजनीतिक संकट पैदा हो गया। इस फैसले का नेपाली कांग्रेस सहित विभिन्न दलों ने विरोध किया है।

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