काठमांडू. नेपाल में लोकतंत्र की बहाली के बाद से ही वहां छोटी सी समय अवधि में कई बार प्रधानमंत्री बदले जा चुके हैं। पिछले दिनों में वहां सत्ता को लेकर वामपंथी दल के नेताओं में आपसी संघर्ष देखा गया। ऐसे माहौल में नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का द्वारा बड़ा बयान दिया गया है। ज्ञानेंद्र शाह ने कहा है कि उन्होंने महसूस किया है कि नेपाल जैसे देश में राजतंत्र के बिना लोकतंत्र और लोकतंत्र के बिना राजतंत्र प्रासंगिक नहीं है।
उन्होंने देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर भी गहरा असंतोष व्यक्त किया।
विजय दशमी के अवसर पर एक संदेश में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र ने कहा, "इस तथ्य के बावजूद कि देश की राजनीतिक स्थिति ने हमें एक अलग जिम्मेदारी लेने के लिए मजबूर किया है, हमने महसूस किया है कि राजतंत्र के बिना लोकतंत्र और लोकतंत्र के बिना राजतंत्र नेपाल जैसे देश में प्रासंगिक नहीं हो सकता है।"
नेपाल के पूर्व राजा ने आलोचना करते हुए कहा कि देश की राजनीतिक व्यवस्था स्वार्थी उद्देश्यों, गुटों और उप गुटों से उलझी हुई है। उन्होंने मौजूदा व्यवस्था पर कटाक्ष करते हुए पूछा कि "क्या आम नेपाली, जो कोरोनावायरस महामारी, प्राकृतिक आपदाओं, बेरोजगारी, आसमान छूती कीमत और अस्थिरता के भंवर में फंसा हुआ है, अपने हित में सेवाओं का अनुभव कर पा रहा है?"
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