इस्लामाबाद: पाकिस्तान के अपदस्थ प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मंगलवार को पनामा पेपर्स मामले में दिए गए उस फैसले की समीक्षा के लिए शीर्ष अदालत में अपील दायर की, जिसमें उन्हें अयोग्य ठहरा दिया गया था। इस ऐतिहासिक आदेश ने शरीफ को अपनी संपत्ति और संयुक्त अरब अमीरात के इकमा (वर्क परमिट) को छिपाने के लिए अयोग्य घोषित किया गया था, जिस पर उन्हें भुगतान मिलना था। (बांग्लादेश: भारी बारिश के कारण आई बाढ़ में 29 लोगों की मौत)
शरीफ की ओर से वकील ख्वाजा हारिस ने शीर्ष अदालत में तीन आवेदन दायर किए। अपने आवेदन में पूर्व प्रधानमंत्री ने शीर्ष अदालत से अपने फैसले की समीक्षा करने का अनुरोध किया। नवाज शरीफ ने कहा कि उन्होंने 2013 के चुनाव के नामांकन पत्रों में अपने दस्तावेजों को नहीं छुपाया था, जिसके लिए उन्हें अदालत ने बेईमान और अविश्वसनीय करार देते हुए अयोग्य घोषित किया है। अपने आवेदन में शरीफ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 188 के तहत बिना मुकदमा चले उन्हें अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकता है।
28 जुलाई के ऐतिहासिक फैसले में, सर्वोच्च न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से शरीफ को अयोग्य घोषित कर दिया था, क्योंकि 2013 के आम चुनाव से पहले नामांकन पत्रों में वह 'अवास्तविक वेतन और संपत्ति' की घोषणा करने में विफल रहे थे। पीठ ने राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो को यह भी निर्देश दिया था कि शरीफ, उनके पुत्र हसन नवाज, हुसैन नवाज, बेटी मरियम नवाज, दामाद मुहम्मद सफदर और तत्कालीन वित्तमंत्री इशाक डार के खिलाफ मामले दर्ज किए जाएं।
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