ढाका: म्यांमार के लाखों रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों ने इस समय पड़ोसी देश बांग्लादेश में शरण ले रखी है। बीते 2 सालों से वे बेहद ही नारकीय स्थिति में अपना जीवन जी रहे हैं। 2017 में रोहिंग्या आतंकियों द्वारा किए गए हमलों के जवाब में म्यांमार की सेना ने बेहद ही हिंसक जवाबी कार्रवाई की थी जिसके लपेटे में बड़ी संख्या में बेगुनाहों के भी आने की खबरें आई थीं। ताजा हाल यह है कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने म्यांमार पर अपने वादे से मुकरते हुए अपने ही लोगों को वापस लेने की इच्छा न होने का आरोप लगाया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, हसीना ने रविवार को करीब 10 लाख रोहिंग्या नागरिकों की स्वदेश वापसी के के अपने वादे से मुकर जाने का आरोप लगाया है। हसीना ने यह आरोप भी लगाया कि कुछ अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियां शरणार्थी संकट को बनाए रखना चाहती हैं। बांग्लादेश के कॉक्स बाजार जिले में अस्थाई शरणार्थी शिविरों में 10 लाख से अधिक रोहिंग्या शरण लिए हुए हैं। ये लोग अगस्त 2017 में म्यांमार में सैन्य कार्रवाई के बाद देश से पलायन कर गए थे। इस कार्रवाई के दौरान म्यांमार की सेना पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के गंभीर आरोप लगे थे।
जनवरी 2018 में बांग्लादेश और म्यांमार के बीच रोहिंग्याओं की देशवापसी को लेकर एक करार हुआ था। बांग्लादेश ने उस समय कहा था कि म्यांमार ने हर सप्ताह 1500 रोहिंग्या लोगों को वापस बुलाने पर सहमति जताई है। कहा गया था कि इस करार का उद्देश्य 2 साल के भीतर सभी रोहिंग्या लोगों को म्यांमार लौटाना है। हसीना ने गणभवन में अपने सरकारी आवास पर कहा, ‘समस्या म्यांमार के साथ है क्योंकि वे किसी भी तरीके से रोहिंग्या की वापसी नहीं चाहते, जबकि उसने बांग्लादेश के साथ समझौता कर उन्हें वापस बुलाने का वादा किया था।’
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