तोम्ब्रू: दर-बदर भटक रहे रोहिंग्या मुसलमानों के लिए म्यांमार की सेना का नया फरमान नई मुसीबत ला सकता है। म्यांमार के सुरक्षा बलों ने बांग्लादेश से लगती अपनी सीमा के पास स्थित क्षेत्र में लाउडस्पीकर से घोषणा फिर से शुरू करते हुए रोहिंग्या मुस्लिमों को ‘नो मेंस लैंड’ से तुरंत हटने के लिए कहा है। पिछले वर्ष म्यांमार के पश्चिमी इलाके में सैन्य कार्रवाई के चलते फरार हुए अल्पसंख्यक रोहिंग्या समुदाय के करीब 6,000 शरणार्थी बांग्लादेश और म्यांमार के बीच इस संकरे क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं।
म्यांमार में हिंसा के चलते भागने वाले करीब 7,00,000 रोहिंग्या मुस्लिमों में से अधिकतर बांग्लादेश में स्थित शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। हालांकि उनमें से कुछ दोनों देशों के बीच स्थित इस क्षेत्र में रहने पर अड़े हुए हैं। म्यांमार फरवरी में इस बात पर सहमत हो गया था कि वह इन शरणार्थियों को इस क्षेत्र को खाली करके तत्काल बांग्लादेश चले जाने को कहने के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं करेगा। म्यांमार की सेना ने अपने सुरक्षा बलों की संख्या कम कर दिया लेकिन इस सप्ताहांत लाउडस्पीकर का प्रयोग फिर से शुरू हो गया।
अब रोहिंग्या मुसलमानों के सामने म्यांमार के सुरक्षाबलों द्वारा जारी की जा रही इस चेतावनी से खासी मुसीबत खड़ी हो सकती है। दूसरी तरफ म्यांमार ने वादा किया था कि वह रोहिंग्या मुसलमानों को वापस लेगा, लेकिन फिलहाल इस मामले में कोई खास प्रगति होती हुई नहीं दिख रही है। वहीं, रोहिंग्या भी वापस म्यांमार जाने में हिचक रहे हैं और पिछले साल हुई खौफनाक घटनाओं की यादें उनके जेहन में ताजा है।
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