नेपीथा: तनावग्रस्त दक्षिण पश्चिम म्यांमार में विरोध प्रदर्शन को तितर बितर करने के लिए पुलिस के प्रयास के दौरान भिड़ंत में कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई और 12 अन्य घायल हो गए। पिछले साल सेना के अभियान के बाद हजारों की संख्या में मुस्लिम रोहिंग्या अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य इसी इलाके से पलायन कर गए थे। समाचार एजेंसी एफे की खबर के मुताबिक, अधिकारियों द्वारा जन सभाओं को प्रतिबंधित किए जाने के बाद मंगलवार रात को प्रदर्शनकारियों ने मरौक-यू स्थित पुलिस थाने को घेर लिया था जिसके बाद पुलिस ने भीड़ पर फायरिंग कर दी। (पाक पीएम अब्बासी ने आतंकी हाफिज़ सईद को कहा 'साहेब', बताया बेगुनाह )
प्रदर्शनकारी रखाइन में मरौक-यू के प्राचीन बौद्ध साम्राज्य की पराजय को याद करने के लिए यहां इकठ्ठा हुए थे, जिसपर 1785 में मांडले के सैनिकों ने कब्जा कर लिया था। मांडले उस वक्त म्यांमार राजतंत्र का हिस्सा था। घायलों को रखाइन राज्य की राजधानी सिट्टवे के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया।
रखाइन म्यांमार के सबसे गरीब राज्यों में से एक है। इसके साथ ही यह रोहिंग्या समुदाय का घर भी है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक रोहिंग्या समुदाय म्यांमार सेना के नेतृत्व में चलाए गए जातीय सफाई अभियान का पीड़ित है। इस कथित उत्पीड़न ने पिछले साल सात लाख रोहिंग्याओं को पड़ोसी बांग्लादेश भागने और बतौर शरणार्थी रहने के लिए मजबूर कर दिया था।
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