काबुल. अफगानिस्तान पर अब पूरी तरह तालिबान का कब्जा है। तालिबान ने वहां अपनी सरकार के मंत्रियों की भी घोषणा कर दी है बावजूद इसके तालिबान के बीच सबकुछ ठीक नहीं चलता नहीं दिखाई दे रहा है। यूके बेस्ड एक मैगजीन की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबानी आतंकियों के बीच सत्ता को लेकर संघर्ष में अफगानिस्तान के डिप्टी पीएम मुल्ला बरादर और तालिबान का सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा घायल है।
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इस महीने की शुरुआत में ISI चीफ की काबुल यात्रा सिर्फ इस बात को तय करने की लिए की गई थी कि वहां कि सरकार में ज्यादा से ज्यादा अधिकार हक्कानी नेटवर्क के पास रहें जबकि दोहा में अमेरिका से बातचीत करने वाले ज्यादा ताकतवर न रहें। इस सब में सबसे ज्यादा नुकसाल मुल्ला बरादर का हुआ है, जिसे उम्मीद थी कि वो सरकार का मुखिया बनेगा लेकिन उसे डिप्टी का रोल दिया गया।
मुल्ला बरादर की हुई पिटाई?
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुल्ला बरादर अफगानिस्तान में ethnic minorities के लिए ज्यादा रोल चाहता था और तालिबान के झंडे के साथ अफगानिस्ताान के राष्ट्रीय ध्वज बनाए रखने के पक्ष में था। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन Arg में हुई बैठक में बरादर और खलील हक्कानी के समर्थकों में जमकर झड़प हुई। फर्नीचर और गर्म चाय से भरे फ्लासक एक-दूसरे पर फेंके गए। कुछ सूत्रों का तो ये भी कहना है कि गोलियों की आवाजें भी सुनाई दीं।
कंधार से अबतक काबुल नहीं लौटा बरादर?
इस झड़प के बाद से ही मुल्ला बरादर कुछ दिनों के लिए गायब हो गया और फिर कंधार में नजर आया। वो अभी भी कंधार में हैं और अबततक काबुल नहीं लौटा है। हालांकि उसने कंधार में अपने समर्थन में वहां के लोगों के बीच अपने समर्थन में एक बड़ी सभा का आयोजन किया लेकिन अफगानिस्तान के सरकारी टीवी पर वो एक लिखा हुआ बयान पढ़ता नजर आया। बयान में बरादर ने भले ही तालिबान को लेकर वफादारी का दावा किया हो लेकिन जानकारों का कहना है कि ये वीडियो देखकर महसूस होता है कि उसे बंधक बनाया गया है।
हिबतुल्लाह अखुंदजादा का भी अता-पता नहीं
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इस वक्त तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा का भी अता-पता नहीं है। पिछले कई दिनों से न तो उसे देखा गया है और न ही उसके बारे में कुछ सुना गया है। अफवाहें तो ये तक हैं कि हिबतुल्लाह अखुंदजादा मारा जा चुका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वोच्च पद खाली होने की वजह से तालिबान के नेताओं में मतभेद बढ़ गए हैं, ऐसा दो दशक के उनके शासन में पहले कभी नहीं देखा गया। रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि तालिबान के प्रधानमंत्री मुल्ला हसन अखुंद के पास कोई ताकत नहीं है, इसलिए हक्कानी नेटवर्क पर लगाम लगाने वाला कोई नहीं है। ये जगजाहिर का है कि हक्कानी नेटवर्क पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के कितना करीब है।
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