कुआलालंपुर: मलेशिया के संकटग्रस्त प्रधानमंत्री मुहीद्दीन यासीन ने कोविड-19 संक्रमणों का हवाला देते हुए सोमवार के लिए निर्धारित एक महत्वपूर्ण संसदीय सत्र स्थगित कर दिया। इससे उन्हें इस्तीफा देने की बढ़ती मांग के बीच अविश्वास प्रस्ताव से बचने का मौका मिल गया। सांसदों को शनिवार को भेजे गए एक परिपत्र में कहा गया है कि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा संसद को एक उच्च जोखिम वाली जगह मानने के बाद सत्र बाद की तारीख में आयोजित किया जाएगा। कर्मचारियों और अन्य के बीच गुरुवार को 11 मामले सामने आए।
मलेशिया का राजनीतिक संकट तब और गहरा गया जब राजा ने कोरोना वायरस आपातकाल के दौरान जारी किए गए अध्यादेशों की स्थिति पर संसद को गुमराह करने के लिए सरकार को फटकार लगाई। विपक्ष ने प्रधानमंत्री मुहीद्दीन यासीन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। विपक्ष ने संसद का सत्र स्थगित किए जाने को यासीन के लिए पद पर बने रहने का बहाना बताया। मुहिद्दीन के गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी जिसने प्रधानमंत्री के पद छोड़ने के आह्वान का समर्थन किया है, उसके सांसद अहमद मसलन ने इस बारे में ट्वीट किया है।
अहमद मसलन ने अपने ट्वीट में कहा, ‘कई दलों को लगता है कि यह कोविड-19 के कारण नहीं है। इस राजनीतिक संकट का तत्काल समाधान किया जाना चाहिए। इस संवैधानिक संकट का समाधान किया जाना चाहिए।’ मुहीद्दीन के कार्यालय से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं आयी। यह पहली बार नहीं है जब मुहीद्दीन ने वायरस के कारण संसद स्थगित की है। मार्च 2020 में उनके पदभार ग्रहण करने के बाद और इस साल जनवरी से, राजा द्वारा महामारी से निपटने के लिए एक आपातस्थिति की योजना को मंजूरी देने के बाद, संसद कई महीनों तक बंद रही।
काले कपड़े पहने हुए मलेशिया के सैकड़ों युवा शनिवार को मध्य कुआलालंपुर में एकत्रित हुए और कोरोना वायरस महामारी से ठीक से नहीं निबट पाने को लेकर प्रधानमंत्री मुहयिद्दीन यासीन का इस्तीफा मांगा। यहां कोरोना वायरस के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। यासीन की गैर-निर्वाचित सरकार विपक्ष के साथ गठबंधन बनाकर मार्च 2020 में सत्ता में आई थी। बता दें कि कोरना वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर मुहिद्दीन के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ गया है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी के बाद से मलेशिया में कोराना वायरस के मामले 8 गुना बढ़ गए हैं।
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