कुआलालंपुर: मलेशिया की शीर्ष अदालत ने सोमवार को अपने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि किसी नाबालिग के धर्मांतरण के लिए उसके माता-पिता दोनों की सहमित लेनी जरूरी है। अदालत ने एक हिंदू महिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए यह कहा जिसके पूर्व पति ने उनके 3 बच्चों को उसकी सहमति के बिना मुस्लिम बना दिया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, नाबालिगों के धर्मांतरण की यह घटना साल 2009 की है। इस मुस्लिम बहुल देश में ऐसा फैसला ऐतिहासिक माना जा रहा है।
नाबालिगों की मां एम इंदिरा गांधी को 9 साल की कानूनी लड़ाई के बाद यह कामयाबी मिली है। उनके पूर्व पति ने 2009 में इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था और इसके कुछ ही सप्ताह बाद अपने तीनों बच्चों को भी मुसलमान बना दिया था। महिला के पति ने उनकी बेटी को भी छीन लिया था। उस वक्त बच्ची की उम्र सिर्फ 9 महीने थी। इस समय इंदिरा के तीनों बच्चों की उम्र 20 वर्ष, 19 वर्ष और 9 वर्ष है। इंदिरा ने तीनों बच्चों का संरक्षण और उनके धर्मांतरण से जुड़़ी अपनी कानूनी लड़ाई में जीत हासिल की।
संघीय अदालत के 5 सदस्यीय पैनल ने पाया कि तीनों बच्चों को गैरकानूनी ढंग से धर्मांतरण किया गया है क्योंकि इसमें इंदिरा की सहमति नहीं ली गई। इंदिरा के वकील एम कुलसेगरन ने कहा, ‘यह एक ऐतिहासिक फैसला है और सभी मलेशियावासियों के लिए जीत है।’ अदालत के इस फैसले पर मिलीजुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है। जहां कई स्थानीय संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है वहीं मलेशिया के मुस्लिम वकीलों के एक संगठन ने इसे निराशाजनक करार दिया है।
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