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Hindi News विदेश एशिया करतारपुर कॉरिडोर पर 14 जुलाई को होगी दूसरी बैठक, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी

करतारपुर कॉरिडोर पर 14 जुलाई को होगी दूसरी बैठक, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी

भारत की तरफ के निर्माण कार्य का व्यापक निरीक्षण करने के बाद मंत्री ने कहा कि भारत के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक तीर्थ को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में करतारपुर साहिब गुरुद्वारा से जोड़ने वाले मार्ग का 25 प्रतिशत निर्माण कार्य हो चुका है।

Kartarpur Corridor: Second round of talks on July 14 at Wagah- India TV Hindi Kartarpur Corridor: Second round of talks on July 14 at Wagah

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को भारत को बताया कि करतारपुर कॉरिडोर और संबंधित तकनीकी मुद्दों के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के लिए समझौते पर चर्चा के लिए दूसरी बैठक 14 जुलाई 2019 को वाघा में होगी। इससे पहले भारत में पंजाब के लोक निर्माण मंत्री विजय इंदर सिंगला ने बताया था कि करतारपुर साहिब कॉरीडोर का निर्माण कार्य 30 सितंबर तक पूरा हो जाएगा।

भारत की तरफ के निर्माण कार्य का व्यापक निरीक्षण करने के बाद मंत्री ने कहा कि भारत के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक तीर्थ को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में करतारपुर साहिब गुरुद्वारा से जोड़ने वाले मार्ग का 25 प्रतिशत निर्माण कार्य हो चुका है। एक आधिकारिक बयान में मंत्री के हवाले से कहा गया कि 4.2 किलोमीटर लंबे कॉरीडोर का निर्माण सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव (1469-1539) के 550वीं जयंती समारोह से पहले पूरा हो जाएगा। यह पर्व भारत और पाकिस्तान- दोनों देशों में मनाया जाएगा।

इस कॉरीडोर का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के हिस्से में पड़ता है। मंत्री ने कहा कि तीर्थयात्रियों के भारी आवागमन को देखते हुए बटाला, फतेहगढ़ चुरियां और रामदास से डेरा बाबा नानक जाने वाले सभी सड़क मार्गो को भी उन्नत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि परियोजना के लिए 26.04 करोड़ रुपये में 62 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया है जिसमें प्रति एकड़ 42 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। इसके अलावा, 90 करोड़ रुपये का सिविल कार्य भी प्रगति पर है।

उन्होंने कहा कि एकीकृत चेकपोस्ट के निर्माण के लिए लैंड पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया 50 एकड़ भूमि का और अधिग्रहण कर रहा है। दोनों देशों के अधिकारी 27 मई को पंजाब के डेरा बाबा नानक सेक्टर में अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगने वाले जीरो लाइन पर मिले थे और उन्होंने करतारपुर साहिब के निर्माण के लिए तकनीकी पहलुओं पर चर्चा की थी।

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