सोल: दक्षिण कोरिया में एक बौद्ध भिक्षु की स्वयं को आग लगाने के एक दिन बाद मौत हो गयी। सोल के अस्पताल ने बताया कि पूर्व कोरियाई यौन गुलामों के लिए जापान के साथ कोरिया के समझौते के विरोध में बौद्ध भिक्षु ने खुद को आग लगा ली थी।
64 वर्षीय बौद्ध भिक्षु ने शनिवार को दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति पार्क ग्युन-हे के खिलाफ महाभियोग रैली में खुद को आग लगायी थी। बौद्ध भिक्षु की मौके पर मिली नोटबुक में उन्होंने पार्क के 2015 के उस समझौते की आलोचना की, जिसमें जापान के प्रधानमंत्री को माफी मांगने और लाखों डालर का भुगतान करने के लिए कहा गया था। यह मामला द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कोरियाई महिलाओं को जापानी सैनिकों के लिए यौन दास के रूप में काम करने के लिए मजबूर करने से जुड़ा था।
सोल के नेशनल युनिवर्सिटी हास्पिटल के मुताबिक, अनेक अंगों के काम करने के बाद कल रात उनका निधन हो गया। जापान को 1910-45 में कोरियाई प्रायद्धीपों पर जापान के औपनिवेशिक कब्जे के दौरान यौन गुलामों का विवाद विरासत में मिला है। उत्तर और दक्षिण कोरिया में आज भी लोग जापान के उस शासनकाल के प्रति नफरत का भाव रखते हैं।
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