तोक्यो: जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण के मद्देनजर बृहस्पतिवार को आपातकाल की व्यवस्था पूरे देश में लागू करने की घोषणा की। इस घोषणा से क्षेत्रीय गवर्नर से लोगों को घर में रहने का आह्वान कर सकते हैं लेकिन कोई दंडात्मक या कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। इस प्रकार दुनिया के अन्य देशों सख्त लॉकडाउन के मुकाबले यह व्यवस्था बहुत कमजोर है। आबे ने पहले तोक्यो समेत सात क्षेत्रों में एक महीने के लिए आपातकाल की घोषणा की थी, जहां हाल में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि हुई थी जिससे आपात चिकित्सा सेवा के धराशायी होने का खतरा उत्पन्न हो गया था।
कोविड-19 पर चर्चा के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों की विशेष बैठक में आबे ने कहा, ‘‘इलाके जहां पर आपातकाल के प्रावधान लागू किए जाने हैं उसका विस्तार सात प्रांतों से बढ़ाकर सभी में किया जा रहा है।’’ उन्होंने कहा कि आपातकालीन व्यवस्था छह मई तक लागू रहेगी। उल्लेखनीय है कि आठ अप्रैल को शुरुआती आपाकालीन व्यवस्था लागू होने के बाद कई क्षेत्रीय गवर्नर ने कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामले और चिकित्सा सेवा पर बोझ को देखते हुए इनका विस्तार अपने-अपने क्षेत्रों में करने की मांग की थी। कुछ गवर्नर ने अपने क्षेत्रों में स्थानीय आपातकाल की घोषणा कर दी थी। हालांकि, इसकी कोई वैधानिक मान्यता नहीं थी। जापान में कोरोना वायरस से संक्रमण के अपेक्षाकृत कम मामले आए हैं। देश में जनवरी के मध्य में पहला मामला सामने आया था और बृहस्पतिवार तक देश में करीब 8,500 मामले आए थे जिनमें से 136 की मौत हो चुकी है।
हालांकि, स्थानीय चिकित्सा संघों और विशेषज्ञों ने आगाह किया और आबे ने पहले ही आपातकालीन व्यवस्था के तहत रह रहे लोगों से आह्वान किया कि वे एक दूसरे से संपर्क कम रखें। तोक्यो के गवर्नर ने लोगों से घर से ही काम करने का आह्वान किया जिसके बाद रोजाना बाहर आवाजाही करने वाले लोगों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई। जापान के दो आपात चिकित्सा संघों ने इस हफ्ते संयुक्त बयान जारी कर चेतावनी दी कि पहले ही चिकित्सा व्यवस्था के ध्वस्त होने के संकेत मिल रहे हैं अस्पताल कोरोना वायरस संक्रमितों का इलाज करने में खुद को अक्षम पा रहे हैं। जापान के तीसरे सबसे बड़े शहर ओसाका के महापौर ने लोगों से रेनकोट दान करने की अपील की है ताकि इनका इस्तेमाल चिकित्सा कर्मी व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण के तौर पर कर सकें। उन्होंने बताया कि अभी वे कूड़ा फेंकने के लिए इस्तेमाल पॉलिथीन को पहनने को मजबूर हैं।
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