इस्लामाबाद: पाकिस्तान के एक समाचार पत्र ने शुक्रवार को कहा कि कश्मीर विवाद पर अमेरिका का भारत के साथ आने का फैसला यह संकेत देता है कि पाकिस्तान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले भारत के प्रति अपने दृष्टिकोण स्वीकार करवा पाने में अक्षम साबित हुआ है। डॉन ने संपादकीय में कहा, "ऐतिहासिक तौर पर, देशों के बीच विवादों को सुलझाने के लिए अमेरिका, भारत तथा पाकिस्तान को बातचीत के लिए प्रोत्साहित करता रहा है। लेकिन यदि अमेरिका कश्मीर मुद्दे पर भारत के साथ है तो उस प्रोत्साहन का अब कोई अर्थ नहीं रह गया है।" (सिक्किम सीमा विवाद पर भारत से बात करना चाहता है चीन)
समाचार पत्र ने कहा कि यह पाकिस्तान के सामने कुछ खास चुनौतियां पेश करता है, जिसमें यह चुनौती भी शामिल है कि वह जम्मू एवं कश्मीर पर भारत के खिलाफ दुनिया की राय को कैसे अपने पक्ष में करे। डॉन के मुताबिक, जब कश्मीर की बात आती है, तो शायद इस्लामाबाद के दावे की जगह पाकिस्तान का आतंकवाद से भरा इतिहास दुनिया को अधिक दिखाई पड़ती है।
समाचार पत्र के मुताबिक, राज्य में अलगाववादी आंदोलन शुरू होने के 30 वर्षो बाद भारत ने उस विचार को पुन: अपना लिया है कि कश्मीर का दमन किया जा सकता है। डॉन की यह टिप्पणी खास तौर से अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा पाकिस्तान स्थित कश्मीरी अलगाववादी नेता सैयद सलाहुद्दीन को वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने के संदर्भ में है।
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