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अरब सांसदों के विरोध के बावजूद 'यहूदी देश' बना इस्राइल, हिब्रू बनी राष्ट्रभाषा

इस्राइल की संसद ने गुरुवार को विवादास्पद विधेयक को पारित कर दिया, जो इस देश को विशेष रूप से एक यहूदी राष्ट्र के तौर पर परिभाषित करता है।

Benjamin Netanyahu | AP- India TV Hindi Benjamin Netanyahu | AP

जेरूसलम: इस्राइल की संसद ने गुरुवार को विवादास्पद विधेयक को पारित कर दिया, जो इस देश को विशेष रूप से एक यहूदी राष्ट्र के तौर पर परिभाषित करता है। इस विधेयक के पारित होने के बाद अब अरब नागरिकों के प्रति धड़ल्ले से भेदभाव शुरू होने की आशंका जताई जा रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहूदी राष्ट्र दर्जा विधेयक ने अरबी को आधिकारिक भाषा से हटा दिया और कहा कि यहूदी बस्तियों का विस्तार राष्ट्रहित में है। यह भी कहा गया कि 'पूरा और एकजुट' जेरूसलम इसकी राजधानी है।

अरब सांसदों ने किया विरोध
इस्राइल के अरब सांसदों ने कानून की निंदा की लेकिन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे 'निर्धारक क्षण' बताते हुए इसकी तारीफ की। अरब सांसदों और फिलिस्तीनियों ने इस कानून को नस्लवादी भावना से प्रेरित बताया और कहा कि संसद में हंगामेदार बहस के बाद इस विधेयक के पारित होने पर ‘रंगभेद’ वैध हो गया है। वहीं, इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने विधेयक पारित होने के बाद कहा, ‘यह देश के इतिहास में एक निर्णायक पल है जिसने हमारी भाषा, हमारे राष्ट्रगान और हमारे राष्ट्र ध्वज को सुनहरे अक्षरों में दर्ज किया है।’

हिब्रू बनी राष्ट्रभाषा
देश की दक्षिणपंथी सरकार द्वारा समर्थित विधेयक में कहा गया है, ‘इस्राइल यहूदी लोगों की ऐतिहासिक मातृभूमि है और यहां उनके पास राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता का पूर्ण अधिकार है।’ विधेयक के पक्ष में 62 सांसदों ने और विपक्ष में 55 सांसदों ने वोट डाला। हालांकि, इस्राइल के राष्ट्रपति और अटॉर्नी जनरल की आपत्तियों के बाद कुछ हिस्सों को विधेयक से हटा दिया गया। इस विधेयक के पारित होने के बाद अब हिब्रू देश की राष्ट्रीय भाषा बन गई है। इससे पहले अरबी को आधिकारिक भाषा माना जाता था और उसे अब केवल विशेष दर्जा दिया गया है।

इस्राइल की 20 प्रतिशत आबादी अरब
गौरतलब है कि इस्राइल की करीब नब्बे लाख की आबादी में 20 प्रतिशत इस्राइली अरब हैं। उनके पास कानून के तहत समान अधिकार हैं, लेकिन वे लंबे समय से दोयम दर्जे के नागरिकों जैसे व्यवहार किए जाने की शिकायत करते रहे हैं। उनका कहना है कि उनके साथ भेदभाव होता है और वे शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास जैसी सेवाओं में खराब प्रावधान का सामना करते हैं। अरब सांसद अहमद टिबी ने कहा कि विधेयक का पास होना 'लोकतंत्र की मौत' को दर्शाता है।

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