पाकिस्तान का आरोप, अफगानिस्तान में भारत के दखल से बढ़ी अराजकता
पाकिस्तान के विदेशमंत्री ख्वाजा आसिफ ने सोमवार को कहा कि अफगानिस्तान में भारत के प्रभाव के कारण संकटग्रस्त देश में अराजकता का माहौल बना हुआ है...
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के विदेशमंत्री ख्वाजा आसिफ ने सोमवार को कहा कि अफगानिस्तान में भारत के प्रभाव के कारण संकटग्रस्त देश में अराजकता का माहौल बना हुआ है। जियो न्यूज के मुताबिक, इस्लामाबाद में पाकिस्तान और अमेरिका के ट्रेक-2 राजनयिक वार्ता के चौथे दौर के बाद आसिफ ने मीडिया को बताया, ‘पाकिस्तान अफगानिस्तान में भारत के बढ़ते हस्तक्षेप के खिलाफ है।’ मंत्री ने अफगानिस्तान में आतंकियों के सुरक्षित ठिकानों को तुरंत नष्ट करने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि अमेरिकी अफगानिस्तान नीति देश में सामंजस्य प्रक्रिया को नुकसान पहुंचा रही है।
आसिफ ने कहा कि सालों से युद्ध के कारण अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था और उसका बुनियादी ढांचा बाधित और क्षतिग्रस्त हो गया है। उन्होंने कहा कि वहां पर कई सूमह ऐसे हैं, जो देश में युद्ध जारी रखने के लिए दबाव बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद का सुझाव है कि पाकिस्तान में रह रहे अफगान शरणार्थियों को वापस घर भेजे जाने की जरूरत है। लेकिन अमेरिकी अधिकारियों ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इस वक्त काबुल बहुत अस्थिर है। शरणार्थियों का हवाला देते हुए आसिफ ने कहा, ‘यह हमारी समस्या नहीं है। अमेरिका को इन शरणार्थियों को उन्हें उनके देश वापस भेजने के लिए कुछ कदम उठाने चाहिए।’
उन्होंने कहा कि अमेरिका और पाकिस्तान को संबंधों पर काम करने की जरूरत है। साथ ही दोनों देशों को एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने के खेल को समाप्त करने की आवश्यकता है, ताकि दोनों देश आपसी समझ पर काम कर सकें। इससे पहले अमेरिकी राजदूत डेविड हेल ने कहा था कि अफगानिस्तान में भारत की भूमिका केवल आर्थिक सहायता तक ही सीमित है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और भारत को संबंध सुधारने पर काम करने की जरूरत है। हेल ने दोनों देशों से क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए प्रयास करने का आग्रह किया।
हेल ने कहा कि अमेरिका ने पाकिस्तानी अधिकारियों को अपनी जमीन पर सक्रिय आतंकवादियों के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने को कहा है। उन्होंने कहा, ‘अमेरिकी विदेशमंत्री रेक्स टिलरसन ने पाकिस्तान में राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व से कहा है कि पाकिस्तान-अमेरिकी संबंध महत्वपूर्ण दौर में हैं और अगर वे सहयोग नहीं करते हैं, तो हम अपनी नीति के मुताबिक कार्य करेंगे।’ इस्लामाबाद में हुई इस बैठक में विदेश सचिव तहमीना जांजुआ, हेल और विल्सन मध्य एशिया कार्यक्रम के उपनिदेशक माइकल कुगलमैन के साथ दूसरे अधिकारियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।