तांजुंग लेसुंग: इंडोनेशिया में ज्वालामुखी फटने के बाद आई भयंकर सुनामी में मरने वालों की संख्या बढ़कर 373 हो गई है। हजारों सैन्यकर्मी और बचाव कार्यकर्ता सोमवार को मलबे में तब्दील समुद्र तटों पर पीड़ितों की तलाश में जुटे हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रवक्ता सुतोपो पूर्वो नुग्रोहो ने सेामवार को बताया, ‘‘आपदा में मरने वाले की संख्या 373 तक पहुंच गई है, 128 लोग लापता हैं और 1,459 लोग घायल हुए हैं।’’
एजेंसी का कहना है कि लापता लोगों की भारी संख्या को देखते हुये मृतकों की संख्या में और इजाफा होने की आशंका हे।अनाक क्राकाटोआ ज्वालामुखी के फटने के बाद शनिवार को स्थानीय समयानुसार रात साढ़े नौ बजे दक्षिणी सुमात्रा और पश्चिमी जावा के पास समुद्र की ऊंची लहरें तटों को पार कर आगे बढ़ीं। इससे सैकड़ों मकान नष्ट हो गए। इस भयावह सुनामी ने चारों तरफ तबाही मचायी, जिसमें जान-माल की काफी क्षति हुई है।
आपदा प्रबंधन एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी डोडी रूसवांडी ने कहा, ‘‘सेना और पुलिस मलबे की तलाश कर रही है ताकि हम अन्य पीड़ितों को ढूंढ पाएं।’’ इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने भी सोमवार को इलाके का दौरा किया। सुनामी से सबसे ज्यादी प्रभावित बांतेन क्षेत्र के इंडोनेशियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा कि डॉक्टरों, चिकित्सीय आपूर्ति और उपकरणों को प्रभावित इलाकों में भेजा गया है। एसोसिएशन ने कहा कि मृतकों में ज्यादातर घरेलू पर्यटक शामिल हैं, जो क्रिसमस आने से पहले बीचों पर घूमने गये हुये थे।
देश की मौसम विज्ञान एवं भूभौतिकी एजेंसी के वैज्ञानिकों ने कहा कि अनाक क्राकाटोआ ज्वालामुखी के फटने के बाद समुद्र के नीचे मची तीव्र हलचल सुनामी की वजह हो सकती है। इंडोनेशिया की भूगर्भीय एजेंसी के मुताबिक, अनाक क्राकाटोआ ज्वालामुखी में बीते कुछ दिनों से राख उड़ने की वजह से कुछ हरकत होने के संकेत मिल रहे थे। यह विशाल द्वीपसमूह देश पृथ्वी पर सबसे अधिक आपदा संभावित देशों में से एक है, क्योंकि इसकी अवस्थिति प्रशांत अग्नि वलय के दायरे में है, जहां टेक्टोनिक प्लेट आपस में टकराती हैं। इससे पहले सितंबर में सुलावेसी द्वीप पर पालू शहर में आए भूकंप और सुनामी में हजारों लोगों की जान गई थी।
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