SCO समिट: भारत ने OBOR पर चीन को अकेले दिया झटका, PM मोदी ने नहीं किया समर्थन
OBOR के संदर्भ में PM मोदी ने कहा, ‘भारत ऐसी परियोजना का स्वागत करता है जो समावेशी, मजबूत और पारदर्शी हो और जो सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करती हो।’...
चिंगदाओ: चीन की महत्वाकांक्षी ‘एक क्षेत्र एक सड़क’ (OBOR) पहल का भारत द्वारा निरंतर विरोध किए जाने का स्पष्ट संदेश देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि बड़ी सम्पर्क सुविधा परियोजनाओं में सदस्य देशों की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि समावेशिता सुनिश्चित करने वाली सभी पहलों के लिए भारत की ओर से पूरा सहयोग मिलेगा। मोदी चिंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के 18वें शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 2 दिन की यात्रा पर गए थे।
PM मोदी ने बताया SECURE का नया मतलब
मोदी ने चिंगदाओ में संक्षिप्त नाम ‘सिक्योर’ के रूप में एक नयी अवधारणा रखी। इसमें ‘एस’ से आशय नागरिकों की सिक्योरिटी (सुरक्षा), ‘ई’ से इकोनामिक डेवलपमेंट (आर्थिक विकास), ‘सी’ से क्षेत्र में कनेक्टिविटी (संपर्क), ‘यू’ से यूनिटी (एकता), ‘आर’ से रेसपेक्ट फॉर सोवरनिटी एंड इंटेग्रिटी (संप्रभुता और अखंडता का सम्मान) और ‘ई’ से तात्पर्य एनवायर्मेंटल प्रोटेक्शन (पर्यावरण सुरक्षा) है। अफगानिस्तान को आतंकवाद के प्रभावों का ‘दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण’ बताते हुए मोदी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश में शांति के लिए जो साहसिक कदम उठाए हैं, क्षेत्र में सभी लोग इसका सम्मान करेंगे। उन्होंने इसी क्रम में ईद के मौके पर अफगानी नेता द्वारा संघर्ष विराम की घोषणा का भी उल्लेख किया।
आतंकवाद पर भी हुई चर्चा
अधि़कारियों ने कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित सभी SCO सदस्यों ने आतंकवाद एवं अतिवाद के खतरों के बारे में चर्चा की और इसके समाधान के लिए ठोस कार्रवाई योजना शामिल करने की बात कही। मोदी ने क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए संपर्क सुविधाओं को एक महत्वपूर्ण कारक बताया। चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग की मौजूदगी में मोदी ने कहा कि भारत चाबहार बंदरगाह और अशगाबाद (तुर्कमेनिस्तान) समझौते के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा परियोजना में शामिल है। यह सम्पर्क सुविधा के विकास की परियोजनाओं में भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
OBOR पर PM मोदी ने कही यह बात
OBOR के संदर्भ में PM मोदी ने कहा, ‘भारत ऐसी परियोजना का स्वागत करता है जो समावेशी, मजबूत और पारदर्शी हो और जो सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करती हो।’ उल्लेखनीय है कि भारत OBOR का लगातार कड़ा विरोध करता रहा है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले विवादित कश्मीर से होकर गुजरती है। भारत को छोड़कर SCO के सभी देशों ने चीन की इस योजना का समर्थन किया है। मोदी ने कहा कि संपर्क का मतलब सिर्फ भौगोलिक जुड़ाव से नहीं है बल्कि लोगों का लोगों से जुड़ाव भी होना चाहिए। भारत खुले द्वार की नीति का स्वागत करता है।
भारत ने बताई अपनी प्राथमिकता
उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा 7,200 किलोमीटर लंबी कई देशों से होकर गुजरने वाली परियोजना है। यह परियोजना भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबेजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप को एक मालवहन गलियारे के रुप में जोड़ेगी। अशगाबाद समझौता कई खाड़ी और मध्य एशियाई देशों के बीच परिवहन सुविधाओं के विस्तार और निवेश का समझौता है। मोदी ने कहा, ‘हम एक बार फिर उस पड़ाव पर पहुंच गए है जहां भौतिक और डिजिटल संपर्क भूगोल की परिभाषा बदल रहा है। इसलिए हमारे पड़ोसियों और SCO क्षेत्र में संपर्क हमारी प्राथमिकता है।’
पाकिस्तान ने खुलकर किया OBOR का समर्थन
उन्होंने कहा कि भारत SCO के लिए हर तरह का सहयोग देना पसंद करेगा, क्योंकि यह समूह भारत को संसाधनों से परिपूर्ण मध्य एशियाई देशों से दोस्ती बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। पाकिस्तानी राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने यहां अपने संबोधन में OBOR का खुल कर समर्थन किया। साथ ही कहा कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा। भारत और पाकिस्तान के इस संगठन का पूर्ण सदस्य बनने के बाद यह पहला मौका है जब भारतीय प्रधानमंत्री इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए हैं। इस संगठन में चीन और रूस का दबदबा है। मोदी ने कहा कि इस शिखर सम्मेलन का जो भी सफल निष्कर्ष होगा, भारत उसके लिए अपना पूर्ण सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है।
जानें, क्या है SCO
सम्मेलन के दौरान अपने संबोधन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने संयुक्त परियोजनाओं के लिए SCO को 30 अरब युआन यानी 4.7 अरब डॉलर का ऋण देने की भी घोषणा की। SCO में अभी 8 सदस्य देश है और यह संगठन दुनिया की करीब 42% आबादी और वैश्विक GDP के 20% का प्रतिनिधित्व करता है। मोदी के अलावा इस शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन भी शामिल हुए हैं। वर्ष 2001 में स्थापित इस संगठन के भारत के अलावा रूस, चीन, किर्गीज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और पाकिस्तान सदस्य हैं।