नई दिल्ली: जापान में भारत के नए राजदूत का मनना है कि दोनों देश प्रतिभा और टेक्नोलॉजी के मामले में एक दूसरे के पूरक होसकते हैं और इस सहयोग से नई संभावनाओं को बल मिल सकता है। बुधवार को जापान टाइम्स से बातचीत के दौरान भारत के राजदूत संजय कुमार वर्मा ने कहा, 'भारतीय सॉफ्टवेयर क्षमता के साथ जापान के हार्डवेयर उत्पादन को जोड़कर अगर एकसाथ कर दिया जाए तो आपके पास हर कुशल हार्डवेयर पर ऐसा एम्बेडेड सिस्टम होता है जिससे नए उत्पाद बन सकते हैं।'
वर्मा ने अपना मौजूदा कार्यकाल 17 जनवरी को शुरू किया था। वे सभी क्षेत्रों में भारत और जापान के बीच सहयोग बढ़ाने के अपने मिशन के रूप में देखते हैं।
पिछले अक्टूबर महीने में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टोक्यो गए थे तब दोनों सरकारों ने क्षेत्रीय सुरक्षा से लेकर डिजिटल उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं पर सहयोग करने के लिए सहमति जताई थी। वर्मा उस विजन को आगे ले जाना चाह रहे हैं।
उन्होंने कहा- लोकतंत्र, टेक्नोलॉजी, स्टार्टअप्स- 'ये सभी क्षेत्र ग्लोबल लीडरशिप के लिए खुले हैं और हमें एक दूसरे के साथ सहयोग करने की आवश्यकता है। डिजिटल अर्थव्यवस्था अब भारत और जापान का पर्याय बन गई है।'
वर्मा ने कहा कि जापान में श्रम की कमी और भारत के युवा कार्यबल का दोनों देशों के बीच एक अच्छा संयोजन है। वर्मा ने कहा कि उनके देश के 1.3 बिलियन लोगों में से 60 प्रतिशत 35 या उससे कम उम्र के हैं। उन्होंने कहा कि यह एक "बहुत बड़ी पूरक" है।
उन्होंने कहा, 'जापानी कंपनियों और जापानी बाजार की मांग के आधार पर, भारत (जापान को) इंजीनियर भेज रहा है। अभी तक एकमात्र कठिनाई जापानी भाषा है।' सुरक्षा के सवाल पर वर्मा ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में "कानून के शासन" को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया। 53 वर्षीय वर्मा ने हांगकांग, वियतनाम, तुर्की और इटली सहित भारतीय वाणिज्य दूतावासों और दूतावासों में काम किया है। (इनपुट-जापान टाइम्स)
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