सिंगापुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग में अपने संबोधन में शुक्रवार को कहा कि जब भारत एवं चीन विश्वास एवं भरोसे के साथ मिलकर काम करेंगे तो एशिया एवं विश्व का भविष्य बेहतर होगा। प्रधानमंत्री का यह बयान चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ एक माह पहले हुई अनौपचारिक शिखर वार्ता के बाद आया है। शांगरी-ला वार्ता में अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि भारत एवं चीन ने मुद्दों के प्रबंधन तथा शांतिपूर्ण सीमा सुनिश्चित करने के मामलों में परिपक्वता एवं बुद्धिमत्ता का परिचय दिया है।
उन्होंने दावा किया कि ‘प्रतिद्वंद्विता’ वाले एशिया से क्षेत्र पीछे की ओर जाएगा जबकि सहयोग वाले एशिया से शताब्दी का स्वरूप तय होगा। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इस विश्व की दरकरार है कि हम विभाजनों एवं प्रतिस्पर्धा से ऊपर उठें और मिलकर काम करें।’ क्षेत्रीय समुद्री मुद्दों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत हिन्द-प्रशांत क्षेत्र को सामरिक दृष्टि या सीमित सदस्यों के क्लब के रूप में नहीं देखता। उन्होंने कहा, ‘भारत स्वतंत्र, मुक्त समावेशी हिन्द प्रशांत क्षेत्र के पक्ष में है जो प्रगति एवं समृद्धि की तलाश कर रहे हम सभी लोगों को अपनाता है। हमारा मानना है कि हमारी साझा समृद्धि एवं सुरक्षा जरूरत के कारण हमें वार्ता के जरिए ऊपर उठना चाहिए और क्षेत्र के लिए साझा नियमों पर आधारित व्यवस्था होनी चाहिए।’
व्यापार के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि भारत मुक्त एवं स्थिर अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली के पक्ष में है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘प्रतिस्पर्धा समान्य बात है। किंतु स्पर्धा संघर्ष में परिवर्तित नहीं होनी चाहिए। मतभेदों को विवाद में तब्दील नहीं होने देना चाहिए।’ अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह में चीन के वुहान शहर में मोदी एवं शी की अनौपचारिक शिखर वार्ता हुई थी। इस वार्ता में दोनों नेताओं ने दोनों एशियाई शक्तियों के संबंधों को मजबूती देने के लिए विचारों का आदान-प्रदान किया था।
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