नई दिल्ली: भारत में बात हो रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र के मंच से आतंकवाद पर करारा प्रहार करेंगे। ऐसा बोलेंगे कि आतंक को पालने वालों की बोलती बंद हो जाएगी लेकिन पाकिस्तान में चर्चा हो रही है कि इमरान खान को यूएन में भाषण पढ़कर देना चाहिए क्योंकि बिना पढ़े बोले तो वो कोई बड़ी गलती कर देंगे और अपने ही देश की पोल खोल देंगे। इमरान खान पाकिस्तान से कश्मीर के लिए यलगार का ऐलान कर निकले थे लेकिन अमेरिका पहुंचे तो हाउडी मोदी के शोर में उनके सारे अरमान डूब गए।
इमरान ख़ान की गलतियों का नतीजा ये है कि अब पाकिस्तानियों का अपने वजीर-ए-आजम पर भरोसा नहीं रहा क्योंकि अमेरिका पहुंचते ही इमरान ने कबूल कर लिया कि अल-कायदा के आतंकियों को ट्रेनिंग पाकिस्तान दे रहा था। इमरान के इस बयान के बाद पाकिस्तान में खूब बवाल हुआ। इमरान ये भी मान चुके हैं कि उनका देश भारत से जंग लड़ने की हालत में नहीं है जिसके बाद विपक्ष इमरान पर हमलावर हो गया है।
इसके बाद इमरान खान ने यूएन के सामने हाफिज सईद को पॉकेट मनी देने की इजाजत मांगी जिसके बाद दुनिया भर की मीडिया में जमकर फजीहत हो रही है। ये सारी बातें पाकिस्तान में संसद तक तो ठीक थी या फिर अपनी रैलियों के लिए इमरान खान बचा कर रखते तो अच्छा होता लेकिन अमेरिका में जबसे पोल खोल की शुरुआत हुई है पाकिस्तान में छिछालेदर हो गया है।
पाकिस्तानी चैनल के एक डिबेट शो में कहा गया, “मैं हाथ जोड़कर प्राइम मिनिस्टर इमरान खान से गुजारिश करूंगा, हाथ जोड़कर, जो विदेश मंत्री हैं उनसे भी हाथ जोड़कर, ये जो जनरल असेंबली में इमरान खान बेहद अहम संबोधन देने वाले हैं उस तकरीर को लिखकर दे दीजिए, क्योंकि पाकिस्तान अब इस तरह की गलती नहीं चाहता है कि वहां भी वजीरे आजम स्लीप ऑफ टंग कर दें, गलती से कह दें...।“
अब सवाल ये है कि इमरान क्या बोलेंगे या और क्या नहीं बोलेंगे या फिर सिर्फ और सिर्फ कश्मीर का रोना रोएंगे। इमरान के लिए कश्मीर तो बहाना होगा, महंगाई और डूबती इकॉनमी से मुंह छिपाना ही पाकिस्तानी पीएम का मकसद होगा। वहीं पीएम मोदी के पास आतंकवाद के अलावा पर्यावरण से लेकर परमाणु ऊर्जा तक तमाम मसले हैं।
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