इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और सेना ने बृहस्पतिवार को उम्मीद जताई कि भारत सिख श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर सीमा खोलने की उसकी सद्भावनापूर्ण पहल पर सकारात्मक जवाब देगा। खान ने 28 नवंबर को पाकिस्तान में करतारपुर कोरिडोर की नींव रखी थी जबकि 26 नवंबर को उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने गुरदासपुर में इसकी नींव रखी थी।
इस गलियारे के जरिए भारतीय सिख श्रद्धालु बिना वीजा के करतारपुर साहिब जा सकते हैं। उन्हें वहां जाने के लिए सिर्फ परमिट लेने की जरूरत होगी। सन् 1522 में गुरु नानक देव ने करतारपुर साहिब की स्थापना की थी। खान ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि भारतीय मीडिया ने करतारपुर सीमा खोलने की पाकिस्तान की सकारात्मक पहल को राजनीतिक रंग दे दिया। मंत्रिमंडल को संबोधित करते हुए खान ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण रूप से भारतीय मीडिया ने करतारपुर को राजनीतिक रंग दे दिया कि हमने कुछ राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए यह किया है। यह सच नहीं है। हमने ऐसा इसलिए किया क्योंकि यह सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के घोषणापत्र का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां धार्मिक स्थल हैं जो हिंदूओं और बौद्धों के लिए महत्वपूर्ण हैं। हमें उन्हें खोलना चाहिए और लोगों को आमंत्रित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सिख समुदाय ने करतारपुर सीमा खोलने की कोशिश पर बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सिखों के लिए वैसे ही है जैसे मदीना हम मुस्लिमों के लिए है। हमें उम्मीद है कि भारत इसके जवाब में सकारात्मक प्रतिक्रिया देगा। रावलपिंडी में एक अलग संवाददाता सम्मेलन में सेना की मीडिया शाखा अंतर सेवा जन संपर्क (आईएसपीआर) के महानिदेशक मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कहा कि पाकिस्तान ने भारत के साथ शांति के लिए कई सकारात्मक कदम उठाए हैं और इस कड़ी में ताजा कदम करतारपुर कोरिडोर की नींव रखना है।
बहरहाल, उन्होंने खेद जताया कि इस पहल को भारत में नकारात्मक रूप से पेश किया गया लेकिन साथ ही उम्मीद जताई कि भारत इस सद्भावनापूर्ण कदम पर सकारात्मक जवाब देगा। गफूर ने कहा कि कोरिडोर छह महीनों में बनाया जाएगा जिसके बाद हर दिन 4,000 सिख श्रद्धालु आ सकेंगे। अधिकारी ने कहा, ‘‘यह भारत की ओर से करतारपुर तक का एकतरफा कोरिडोर होगा और सिख श्रद्धालुओं को करतारपुर तक ही रहना होगा।’’ गफूर ने नियंत्रण रेखा और कामकाजी सीमा पर भारतीय सेना के बढ़ते कथित संघर्ष विराम उल्लंघनों पर भी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि इस साल सीमा पार से गोलीबारी की घटनाओं में 55 नागरिक मारे गए जो इतिहास में सबसे अधिक संख्या है।
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