काबुल: सोशल मीडिया वेसाइट Twitter पर पोस्ट की गईं तस्वीरों में काबुल में एक दीवार पर पेंट की गई महिलाओं की तस्वीरों को पेंट से ढंकता पुरुष नजर आ रहा है। तालिबान के काबुल में घुसने के साथ ही महिलाओं में खलबली-सी मच गई है और वे सोशल मीडिया पर मदद की गुहार लगा रही हैं। बता दें कि साल 2002 से पहले जब अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा था, तब मुल्क में शरीया कानून लागू किया गया था। इस कानून के तहत सजा के तौर पर व्यभिचार करने पर पत्थर मारना, चोरी करने पर अंगों को काटना और 12 साल से अधिक उम्र की लड़कियों को स्कूल जाने से रोकना शामिल था।
‘महिलाओं और प्रेस के अधिकारों का सम्मान करेंगे’
तालिबान के एक अधिकारी ने इस बारे में कहा है कि किसी भी गुनाह की सजा देने का फैसला अदालतें करेंगी। तालिबान ने हाल के दिनों में अफगानिस्तान के जिन इलाकों पर कब्जा किया है, वहां महिलाओं को घर के किसी पुरुष सदस्य के बिना बाहर निकलने की इजाजत नहीं है। वहीं, कुछ महिला कर्मचारियों को बताया गया है कि उनकी जगह अब पुरुष नौकरी करेंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन इलाकों की महिलाओं को भी बुर्का पहनने को कहा जा रहा है। इससे पहले, एक रिपोर्ट में कहा गया था कि तालिबान के एक प्रवक्ता ने कसम खाई है कि आतंकवादी महिलाओं और प्रेस के अधिकारों का सम्मान करेंगे।
कंधार से आ रही हैं परेशान करने वाली खबरें तालिबान के रविवार के बयानों का उद्देश्य वैश्विक चिंता को शांत करना प्रतीत होता है। प्रवक्ता ने कहा कि महिलाओं को अकेले घर से बाहर निकलने की अनुमति दी जाएगी। उसने कहा कि वे पढ़ाई भी कर सकेंगी और उन्हें काम पर भी जाने की इजाजत होगी। हालांकि जिन इलाकों में तालिबान का कब्जा है वहां से कुछ और ही खबरें आ रही हैं। कंधार में एक बैंक में काम करने वाली महिलाओं से कहा गया कि उनकी नौकरी अब उनके पुरुष रिश्तेदार करेंगे। वहीं, महिलाओं को अकेले बाहर नहीं जाने और बुर्का पहनने के लिए मजबूर किए जाने की खबरें भी आई हैं।
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