कराची: पाकिस्तान में 25 जुलाई को होने वाले आम चुनाव में कट्टरपंथी धार्मिक संगठनों के उम्मीदवार मुश्किलें पैदा कर सकते हैं। आपको बता दें कि इन चुनावों में अनेक उग्र दक्षिण पंथी संगठनों ने उम्मीदवार खड़े किए हैं जिनसे देश में लोकतांत्रिक तथा उदारवादी ताकतों की मुश्किलें बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है। पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार ‘द डॉन’ ने अपने संपादकीय में यह अंदेशा जताया है। दैनिक के अनुसार दो नवगठित घोर दक्षिणपंथी धार्मिक पार्टियों, तहरीक-ए-लबैक पाकिस्तान और अल्लाह-ओ-अकबर तहरीक ने देश के सभी 4 सूबे से नेशनल असेंबली की सीटों के लिए 200 से अधिक उम्मीदवार उतारे हैं।
गौरतलब है कि अल्लाह-ओ-अकबर तहरीक (AAT) को आंतकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का नया अवतार माना जा रहा है। इसने पंजाब और खैबर पख्तुनख्वा प्रांत से नेशनल असेंबली की 50 सीट के लिए नामांकन दाखिल किए हैं। मुंबई हमले के साजिशकर्ता हाफिज सईद से संबंद्ध मिल्ली मुस्लिम लीग भी AAT के बैनर तले चुनाव लड़ रही है। मिल्ली मुस्लिम लीग को चुनाव आयोग ने मान्यता नहीं दी है जिसके बाद सईद के लोग पहले से ही बनी AAT से चुनाव लड़ रहे हैं।
संपादकीय में कहा गया है कि जहां मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों को असाधारण रूप से सख्त जांच का सामना करना पड़ा और अनेक नेताओं को चुनाव लड़ने में काफी संघर्ष करना पड़ रहा है वहीं इन दक्षिणपंथी पार्टियों के उम्मीदवारों को जनविरोध का सामना नहीं करना पड़ा। संपादकीय में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजनीति में दक्षिण पंथी उग्रवादी संगठनों की शिरकत पाकिस्तान के लोकतांत्रिक नागरिकों के लिए बड़ी चिंता का विषय है।
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