कॉक्स बाजार: पिछले साल म्यांमार में हिंसक दौर के दौरान बांग्लादेश पलायन करने वाले हिंदू शरणार्थी स्वदेश लौटना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने तैयारी भी कर ली है। बांग्लादेश पलायन करने वाले हिंदू किसान सुरोधन पाल अपने देश लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं और उन्होंने अपना सामान भी पैक कर लिया। लेकिन अब भी अधिकतर शरणार्थी घर लौटने से डर रहे हैं। बांग्लादेश चाहता है कि बीते अगस्त के बाद से म्यांमार से आए 6,55,000 से अधिक शरणार्थी दोनों देशों के बीच हुए विवादित समझौते के तहत इस महीने के अंत तक अपने देश लौटना शुरू कर दें।
म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों की बड़ी आबादी उत्पीड़न का शिकार हुई और उनका कहना है कि वे हिंसा के परिदृश्य में रहने के बजाय बांग्लादेश के गंदे शिविरों में रहना पसंद करेंगे। म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्याओं के साथ रह रहा हिंदुओं का एक छोटा समुदाय भी इस हिंसा की चपेट में आया। वे घर लौटना चाहते हैं। पाल (55) ने बताया, ‘हम सुरक्षा और भोजन चाहते हैं। अगर अधिकारी हमें इसका आश्वासन दे सकते हैं तो हम खुशी-खुशी लौटना पसंद करेंगे। बांग्लादेश सरकार और संयुक्त राष्ट्र हमारा ख्याल रख रहे हैं लेकिन अब हमने अपना बैग तैयार कर लिया है और हम देश लौटने के लिए तैयार हैं।’
नवंबर में दोनों देशों की सरकारों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर के बाद पिछले महीने बांग्लादेश ने प्रत्यर्पण के लिये म्यांमार के अधिकारियों को 1,00,000 शरणार्थियों की सूची भेजी थी। पिछले साल अगस्त में रोहिंग्या उग्रवादियों द्वारा म्यांमार के सुरक्षाबलों पर किए गए हमलों के बाद हुई कार्रवाई ने 6,50,000 रोहिंग्याओं को म्यांमार से भागकर बांग्लादेश में शरण लेने के लिए मजबूर कर दिया था। वहीं, अभी हाल ही में रोहिंग्या उग्रवादियों ने दावा किया है कि उन्होंने फिर से म्यांमार के सुरक्षाबलों पर हमला किया है, जिसके बाद शरणार्थियों की स्वदेश वापसी पर संकट के बादलव मंडरा रहे हैं।
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