जानें, पाकिस्तान चुनावों में आतंकी सरगना हाफिज सईद की पार्टी ने जीतीं कितनी सीटें
पाकिस्तान चुनावों में मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड और इंटरनेशनल टेररिस्ट हाफिज सईद ने बड़ी संख्या में उम्मीदवारों को उतारा है।
इस्लामाबाद: पाकिस्तान आम चुनाव के अभी तक आए रुझानों और नतीजों के मुताबिक इमरान खान का प्रधानमंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है। उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ 118 सीटों पर बढ़त बना चुकी है, जबकि PM की कुर्सी तक पहुंचने के लिए कम से कम 137 सीटें चाहिए। माना जा रहा है कि निर्दलियों का साथ लेकर इमरान पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं। वहीं, इन चुनावों को लेकर चर्चा में रहे आतंकी सरगना हाफिज सईद की बात करें तो पाकिस्तान की जनता ने उसका बुरा हाल किया है। हाफिज की पार्टी को इन चुनावों में एक भी सीट नहीं मिली है।
हाफिज को पाकिस्तान की जनता ने हराया
गौरतलब है कि पाकिस्तान की जनता ने सिर्फ हाफिज ही नहीं बल्कि सारी कट्टरपंथी इस्लामी पार्टियों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। हाफिज सईद के समर्थन वाली पार्टी अल्लाह-हू-अकबर तहरीक (AAT) को अभी तक जारी नतीजों में एक भी सीट नहीं मिली है। यहां तक कि उसकी पार्टी किसी सीट पर आगे भी नहीं चल रही है। हाफिज के समर्थन से अल्लाह-हू-अकबर तहरीक ने 50 संसदीय सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे, लेकिन हर जगह उसकी पार्टी को मुंह की खानी पड़ी है।
तहरीक लब्बैक पाकिस्तान को भी करारी हार
आपको बता दें कि हाफिज ने अपनी पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग को चुनाव आयोग से मंजूरी न मिलने के बाद AAT के बैनर तले संसदीय और प्रांतीय चुनावों में 200 से ज्यादा उम्मीदवार खड़े किए थे। हाफिज की पार्टी के अलावा पिछले साल पूरे इस्लामाबाद को एक तरह से बंधक बना देने वाली पार्टी तहरीक लब्बैक पाकिस्तान (TLP) को भी पाकिस्तान की जनता ने पूरी तरह नकार दिया है। इस पार्टी ने 152 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। इस तरह से देखा जाए तो पाकिस्तान की जनता ने इन दो कट्टरपंथी पार्टियों को पूरी तरह नकार दिया है।
जेमिमा ने इमरान को दी बधाई
पहली पत्नी जेमिमा ने इमरान को उनकी पार्टी की कामयाबी पर खास अंदाज में बधाई देते हुए कहा है कि ‘मेरे बेटों के पिता पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं।’ जेमिमा ने बधाई देते हुए लिखा, 'बेइज्जती, मुश्किलों और कुर्बानी के 22 साल बाद मेरे बेटों के पिता पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री हैं। यह दृढ़ता, यकीन और शिकस्त न मानने का एक अविश्वसनीय सबक है। अब चुनौती इस बात को याद रखने की है कि वह क्या सोचकर राजनीति में आए थे। इमरान को बधाइयां।'