इस्लामाबाद: पाकिस्तानी मीडिया ने आतंकवादी संगठनों का इस्तेमाल विदेश नीति के औजार के रूप में करने के खिलाफ सरकार को चेताया है। ‘द डॉन’ में प्रकाशित एक संपादकीय में कहा गया है कि पाकिस्तान उन संगठनों का इस्तेमाल अपनी विदेश नीति के औजार के रूप में कर रहा है जिन्हें वैश्विक समुदाय ने आतंकवादी संगठन घोषित किया हुआ है। इस नीति से पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय रूप से अलग-थलग पड़ने की ओर अग्रसर हो रहा है। संपादकीय में सरकार की नीतियों विशेषकर सेना की आलोचना की गई है। (चीन: अब 2023 के बाद भी राष्ट्रपति बने रहेंगे शी चिनफिंग? CPC ने रखा यह प्रस्ताव )
इसमें कहा गया है कि पेरिस में हाल में हुई वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की हाल में हुई बैठकों से आई खबरें पचा ली गई हैं। इस तथ्य पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखे जाने का प्रस्ताव पेश किया गया और इस दौरान हमारे मित्र चीन तथा सऊदी अरब दोनों ने भी पाकिस्तान का साथ छोड़ दिया। शुक्रवार को जारी अपनी रिपोर्ट में एफएटीएफ ने पाकिस्तान के नाम का उल्लेख नहीं किया, जिससे देश की स्थिति के बारे में भ्रम पैदा हो गया।
समाचार पत्र ने कहा,‘‘अब यह तेजी से स्पष्ट होता जा रहा है कि पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों का विदेश नीति के उपकरण के रूप में इस्तेमाल करने के कारण अंतरराष्ट्रीय तौर पर अलग-थलग होने की ओर बढ़ रहा है।’’ एक अन्य समाचार पत्र ‘द न्यूज’ ने कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद वित्त पोषण के खिलाफ अपनी निष्क्रियता के परिणामों के बारे में गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। आतंकवाद का वित्त पोषण रोकने में विफलता ऐसी बात है जिसे देश आंतरिक रूप से स्वीकार करता है। पाकिस्तान के एक अन्य प्रतिष्ठित समाचार पत्र ‘द नेशन’ ने एक संपादकीय में कहा, ‘‘यह समय दोषपूर्ण नीतियों पर ध्यान देना का है जो हमें आतंक की कगार पर ले गया।’’
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