पाकिस्तान की कंगाली का काउंटडाउन, FATF में ब्लैकलिस्ट होने से पहले APG के सामने आज होगी पेशी
FATF की क्षेत्रीय इकाई एशिया पेसिफिक ग्रुप APG के सामने बैंकॉक में पाकिस्तान की पेशी है। पाकिस्तान के पास ब्लैकलिस्ट होने से पहले ये आखिरी मौका है।
अर्थव्यवस्था पर बुरे दिनों की मार झेल रहे पाकिस्तान के लिए अभी और बुरा वक्त बाकी है। टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टाक्स फोर्स (FATF) पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट कर सकती है। FATF की क्षेत्रीय इकाई एशिया पेसिफिक ग्रुप APG के सामने बैंकॉक में पाकिस्तान की पेशी है। पाकिस्तान के पास ब्लैकलिस्ट होने से पहले ये आखिरी मौका है।
सवाल उठता है कि क्या तबाह हो जाएगी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था ? क्या आतंक के मुद्दे पर पकड़ा जाएगा पाकिस्तान का झूठ ? ये सवाल इसलिए बेहद अहम है क्योंकि आज से बैंकॉक में एक बड़ी बैठक हो रही है। इस बैठक में पाकिस्तान को आतंक जुड़े तमाम सवालों का ना केवल जवाब देना होगा बल्कि ये बताना होगा कि अब तक उसने आतंकियों का पनाहगाह बने पाकिस्तान में आतंक के रास्तों को रोकने के लिए क्या क्या किया है? दरअसल टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टाक्स फोर्स यानी FATF की क्षेत्रीय इकाई एशिया पेसिफिक ग्रुप APG के सामने पाकिस्तान की पेशी है।
पाकिस्तान के पास आखिरी मौका
पाकिस्तान बताएगा कि उस पर FATF का प्रतिबंध क्यों ना लगे ? APG को जानकारी देगा कि उसने प्रतिबंधित संगठनों पर नियंत्रण के लिए अब तक क्या किया है ? बैठक के दौरान पाकिस्तान एफएटीएफ को बताएगा कि आतंकी संगठनों की संपत्ति को जब्त करने के लिए अबतक क्या कदम उठाए हैं ? साफ है कि अब तक पाकिस्तान पर आतंकियों के पनाह देने के जो आरोप लगते रहे हैं अब उन्हीं आरोपों पर पाकिस्तान को आखिरी बार सफाई देनी है वरना अक्टूबर में होने वाली FATF की बैठक में पाकिस्तान को बैन किया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो पाकिस्तान को इसका जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ेगा।
पिछले महीने अगस्त में ही पाकिस्तान की पोल पूरी दुनिया में खुल चुकी है। अब बस उस पर आखिरी मुहर लगने वाली है। ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में 18 अगस्त से 23 अगस्त के बीच एक अहम बैठक हुई थी। इस बैठक में पाकिस्तान ने आतंकियों पर कार्रवाई की एक रिपोर्ट FATF की क्षेत्रीय इकाई APG के सामने सौंपी थी। पाकिस्तान ने 27 सूत्रीय ऐक्शन प्लान पर अपनी रिपोर्ट दाखिल की थी। लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि एपीजी ने इस रिपोर्ट में कई खामियां पाई थी।
वैश्विक संस्था एपीजी ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी संगठनों को वित्तीय मदद को रोकने में पाकिस्तान की कोशिशों को नाकाफी बताया था। एपीजी ने माना था कि पाकिस्तान ने 40 अनुपालन मानकों में से 32 का पालन नहीं किया था। यही वजह है कि पाकिस्तान को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी संगठनों को वित्तीय मदद करने के मामले में निगरानी सूचि में डाल दिया गया था।
दुनिया भर से पड़ रहा है दबाव
पाकिस्तान पर आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने का जबरदस्त वैश्विक दबाव है। भारत के अलावा, यूएस, फ्रांस, जर्मनी, यूके की कोशिशों के बाद एफएटीएफ ने जून 2018 से ही पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। फाइनेंशियल एक्शन टाक्स फोर्स की निगरानी सूची में आने के बाद पाकिस्तान पर ब्लैकलिस्ट होने का खतरा बढ़ गया है।