फाइनेंशियल ऐक्शन टास्ट फोर्स (एफएटीए) ने शुक्रवार को पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में बरकरार रखने का फैसला किया है। पाकिस्तान को आतंक के वित्त पोषण पर एफएटीएफ से कड़ी चेतावनी भी दी गई है और इस पर उसे पूर्ण लगाम लगाने को कहा गया है। सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है। आतंकवादियों को आर्थिक मदद रोकने की दिशा में काम करने वाली संस्था एफएटीएफ की बैठक पेरिस में 16-21 फरवरी तक बैठक हुई। आज इस कार्यक्रम का आखिरी दिन था।
इस बैठक में इस बात की समीक्षा की गई के पाकिस्तान ने आतंक वित्तपोषण और धनशोधन पर लगाम के लिए उसे सौंपी गई 27 सूत्रीय कार्ययोजना पर किस हद तक अमल किया है। इसी पर पाकिस्तान का एफएटीएफ की ग्रे सूची में रहना या इससे निकलकर व्हाइट सूची या काली सूची में जाना निर्भर था।
पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया था और उसे एक कार्ययोजना पर काम करने के लिए अक्टूबर 2019 तक का समय दिया गया था, जिसे पूरा नहीं करने पर उसे ईरान और उत्तरी कोरिया के साथ ब्लैक लिस्ट करने की चेतावनी दी गई थी। बाद में अक्टूबर 2019 में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को 27 सूत्री एक कार्ययोजना को लागू करने का फरमान देते हुए फरवरी तक ग्रे लिस्ट में रखने का फैसला लिया। इसके बाद इस साल जनवरी में फिर चीन के बीजिंग में एफएटीएफ की बैठक हुई, जिसमें पाकिस्तान ने कार्ययोजना लागू करने के लिए कार्ययोजना की एक सूची सौंपी।
अब पेरिस मुख्यालय स्थित एफएटीएफ इस बैठक में पाकिस्तान द्वारा धनशोधन को समाप्त करने और आतंकियों के वित्तपोषण पर लगाम लगाने की दिशा में उठाए गए कदमों का जायजा लिया। जिसके बाद पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में फिर रखा गया है। पाकिस्तान को अगर ब्लैकलिस्ट में डाला गया तो उसे ईरान की तरह आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।
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