काठमांडू: भूकंप से हजारों लोगों की मौत और जान-माल का नुकसान ही नहीं होता। इससे दिन छोटे हो जाने की आशंका भी पैदा हो जाती है। कभी-कभी धरती का नक्शा भी मामूली रूप से बदल जाता है।
जापान में 2004 में आए भूकंप के बाद वहां दिन की लंबाई कम हो गई थी। नासा की प्रयोगशाला में भूविज्ञानी रिचर्ड ग्रॉस के अनुसार उस समय आए भूकंप से 24 घंटे के दिन की लंबाई 1.8 माइक्रोसेकंड्स तक घट गई थी। जापान में रिक्टर स्केल पर 8.7 की तीव्रता के भूकंप के बाद पृथ्वी और अधिक तेज गति से घूमने लगी थी।
ग्रॉस ने कहा था कि धरती की धुरी के स्थान में बदलाव की वजह से पृथ्वी कुछ अलग ढंग से घूमती है, लेकिन इससे स्पेस में कोई बदलाव नहीं होता। वहां केवल बाहरी तत्वों, सूरज, चांद और ग्रहों को गुरुत्वाकर्षण से ऐसा होता है। इससे पहले भी आए भूकंप से दिन छोटे होते रहे हैं।
अमेरिकी भूविज्ञानियों का कहना है कि 2004 में एशिया में उठी सुनामी लहरें इतनी शक्तिशाली थी कि उससे पूरे क्षेत्र का नक्शा ही स्थायी रूप से बदल गया।
एक विशेषज्ञ के अनुसार सूनामी लहरें उठने से पहले सुमात्रा द्वीप के 250 किमी दक्षिणपूर्व में रिक्टर स्केल पर 9 की तीव्रता से आए भूकंप की वजह से छोटे-छोटे द्वीप 20 मीटर तक खिसक गए थे। अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे एक्सपर्ट केन हुडनट ने भूकंप और सुनामी से धरती का नक्शा बदलने की पुष्टि की।
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