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दलाई लामा ने चीन पर दिया बड़ा बयान, फिर कहा- अभी मैं भारत में ही रहना चाहता हूं

तोक्यो फॉरेन कॉर्सपोंडेंट्स क्लब की मेजबानी वाले ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में दलाई ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने की उनकी कोई खास योजना नहीं है।

China, China Dalai Lama, China Taiwan Dalai Lama, Dalai Lama India, Dalai Lama Tibet China- India TV Hindi Image Source : AP FILE तिब्बत के निर्वासित आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने कहा है कि चीन के नेता संस्कृति की विविधताओं को नहीं समझते हैं।

तोक्यो: तिब्बत के निर्वासित आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने कहा है कि चीन के नेता संस्कृति की विविधताओं को नहीं समझते हैं। उन्होंने कहा कि कड़े सामाजिक नियंत्रण के प्रति सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी का झुकाव नुकसानदेह हो सकता है। दलाई लामा ने बुधवार को यह भी कहा कि वह आधिकारिक रूप से नास्तिक कम्युनिस्ट पार्टी शासित चीन और प्रबल बौद्ध धर्मावलंबी ताइवान के बीच जटिल राजनीति में संलिप्त होने के बजाय भारत में ही रहना चाहते हैं, जहां वह 1959 से रह रहे हैं।

शी जिनपिंग से मिलने की उनकी कोई खास योजना नहीं
तोक्यो फॉरेन कॉर्सपोंडेंट्स क्लब की मेजबानी वाले ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में दलाई (85) ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने की उनकी कोई खास योजना नहीं है और उन्होंने राष्ट्रपति पद पर तीसरे कार्यकाल के लिए भी रहने की शी की योजना पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। तिब्बती आध्यात्मिक गुरु ने कहा, ‘चीनी कम्युनिस्ट नेता संस्कृतियों की विविधताओं को नहीं समझते हैं। असल में अत्यधिक नियंत्रण लोगों को नुकसान पहुंचाएगी।’ बता दें कि चीन सभी धर्मों पर कड़ा नियंत्रण रखता है और हाल के वर्षों में उसने तिब्बतियों, तुर्की, मुस्लिम, उइगुर तथा अन्य अल्पसंख्यक समूहों को निशाना बना कर सांस्कृतिक समावेशीकरण अभियान चलाया है।

दलाई लामा ने 2011 में राजनीति से संन्यास ले लिया था
दलाई लामा ने कहा कि वह ‘स्थानीय व राजनीतिक उलझनों’ में नहीं पड़ना चाहते हैं, लेकिन ताइवान और चीन की मुख्य भूमि पर भाइयों व बहनों के लिए योगदान देने के लिए समर्पित हैं। उन्होंने हल्की सी मुस्कान के साथ कहा, ‘कभी-कभी मुझे सचमुच में लगता है कि यह सामान्य बौद्ध भिक्षु जटिल राजनीति में शामिल नहीं होना चाहता है।’ दलाई लामा ने 2011 में राजनीति से संन्यास ले लिया था लेकिन वह तिब्बती परंपरा के संरक्षण के प्रबल हिमायती बने हुए हैं। चीन उन्हें तिब्बत की स्वतंत्रता का समर्थक बताता है। वहीं, दलाई लामा का कहना है कि वह महज तिब्बत की स्वायत्तता और स्थानीय बौद्ध संस्कृति के संरक्षक हैं।

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