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भारत-चीन के बीच पैदा हुए विवाद की वजह दलाई लामा नहीं

चीन ने 81 वर्षीय तिब्बत के आध्यात्मिक गुरू के अरुणाचल प्रदेश के दौरे को लेकर भारतीय राजदूत विजय गोखले के समक्ष विरोध दर्ज कराया था।

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बीजिंग: भारत में तैनात रहे चीन के पूर्व राजनयिक ने तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर दोनों देशों के बीच पैदा हुये विवाद के बीच आज कहा कि भारत-चीन के दीर्घकालीन संबंधों में दलाई लामा मुख्य समस्या नहीं है। चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने कोलकाता में चीन के महावाणिज्य दूत रह चुके माओ सिवेई के हवाले से कहा, दीर्घकाल के लिए भारत-चीन के रिश्तों में दलाई लामा मुख्य समस्या नहीं है और यह ऐसी समस्या नहीं है जिसे सुलझाया नहीं जा सकता।

गत वर्ष माओ ने चीन की आधिकारिक नीति के खिलाफ असंतुष्टि जतायी थी जो अपने आप में दुर्लभ बात है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में जैश ए मोहम्म्द सरगना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के भारत के प्रयासों में बाधा डालने की चीन की लगातार कोशिशों में बदलाव करने की मांग करते हुये कहा था कि मसूद एक आतंकवादी है और चीन को इसके अनुसार अपना रूख तय करना चाहिये। इस बीच जनजातीय मामलों के प्रभारी एक शीर्ष चीनी अधिकारी ने दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर पैदा हुये विवाद पर टिप्पणी करते हुये कहा कि दलाई लामा की आड़ में भारत एक बड़ी शक्ति के तौर पर अपनी गरिमा गंवा रहा है। गौरतलब है कि अरुणाचल प्रदेश पर चीन दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा होने का दावा करता है।

चीन ने 81 वर्षीय तिब्बत के आध्यात्मिक गुरू के अरुणाचल प्रदेश के दौरे को लेकर भारतीय राजदूत विजय गोखले के समक्ष विरोध दर्ज कराया था। दलाई लामा अभी अरुणाचल प्रदेश के नौ दिवसीय दौरे पर हैं। चीन, अरुणाचल प्रदेश के हिस्सों के दक्षिणी तिब्बत का भाग होने का दावा करता है और उसने पूर्व में चेतावनी दी थी कि अगर भारत दलाई लामा के दौरे की अनुमति देता है तो इसके दोनों देशों के संबंधों को गंभीर नुकसान होगा। चीन दलाई लामा को चीन विरोधी अलगाववादी मानता है। अरुणाचल प्रदेश के त्वांग क्षेत्र में दलाई लामा के दौरे को लेकर चीन काफी सतर्क है। इस क्षेत्र को छठे दलाई लामा का जन्म स्थान माना जाता है।

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