CPEC: बाजवाओं ने मिलकर इसे बना दिया चीज पिज्जा इकोनॉमिक कॉरिडोर, पाकिस्तानी सोशल मीडिया में बन रहा मजाक
पाकिस्तान में आजकल चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) को चीज पिज्जा इकोनॉमिक कॉरिडोर कहा जा रहा है। इसके अलावा पाकिस्तानी सोशल मीडिया में इन दिनों 'बाजवा पापा जॉन पिज्जा' को लेकर खासा मजाक बन रहा है।
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में आजकल चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) को चीज पिज्जा इकोनॉमिक कॉरिडोर कहा जा रहा है। इसके अलावा पाकिस्तानी सोशल मीडिया में इन दिनों 'बाजवा पापा जॉन पिज्जा' को लेकर खासा मजाक बन रहा है। 'बाजवा पापा जॉन' दरअसल ले.जनरल (रिटायर्ड) आसिम सलीम बाजवा हैं जो पिछले दो महीनों से अरबों डॉलर की धांधली की वजह से सुर्खियों में हैं। दो दिन पहले ही छोटा बाजवा कहे जाने वाले ले.जनरल (रिटायर्ड) बाजवा ने प्रधानमंत्री इमरान खान के विशेष सलाहकार के पद से एक बार फिर इस्तीफा दिया और इस बार इमरान खान के पास इसे स्वीकार करने के अलावा कोई चारा नहीं था। लेकिन वह 62 अरब डॉलर वाले चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के चेयरमैन के पद पर जमे हुए हैं।
बड़े बाजवा यानी पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा यही चाहते थे। पाकिस्तानी आर्मी की निष्ठा और ईमानदारी पर जब उंगली उठ रही हो तब बड़े बाजवा क्या करें? खासकर, जब सारा विपक्ष एकजुट होकर छोटा बाजवा के साथ-साथ इमरान खान से भी इस्तीफे की मांग को लेकर देशव्यापी प्रदर्शन करने जा रहा हो। छोटा बाजवा ने प्रधानमंत्री के सलाहकार के पद से इस्तीफा दिया है। 11 विपक्षी दलों के संगठन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट का आरोप है कि बाजवा के खानदान की अरबों की कमाई में सीपीईसी का भी पैसा है। पाकिस्तान के तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके नवाज शरीफ, उनकी बेटी मरियम, दामाद, भाई और पार्टी के सीनियर नेताओं के साथ दूसरी पार्टियों के नेताओं को भ्रष्टाचारों के आरोपों में या तो देशद्रोही करार दिया गया है या जेल में बंद कर रखा है। जबकि छोटे बाजवा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
नवाज शरीफ की बेटी और उनकी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग की नेता मरियम नवाज शरीफ का आरोप है कि इमरान खान की हिम्मत नहीं है कि वह भ्रष्टाचार में डूबे जनरलों के खिलाफ कुछ करें। मरियम ने कहा, "सलाहकार के पद से इस्तीफा काफी नहीं, बाजवा को सीपीईसी से भी इस्तीफा देना पड़ेगा। उनके खिलाफ उसी तरह जांच हो जैसा सलूक नवाज शरीफ और दूसरे नेताओं के साथ हो रहा है। इमरान खान को भी इस्तीफा देना पड़ेगा।"
अब तो पाकिस्तान की जनता मानने लगी है उनकी (देशभक्त) फौज भी उतनी ईमानदार नहीं है। उनके रहनुमा जनरलों की करतूतों का रोज खुलासा हो रहा है। बड़े बाजवा ने पाकिस्तानी मीडिया पर तो पाबंदी लगा दी थी लेकिन पाकिस्तान के बाहर से चल रहे डिजिटल मीडिया का क्या करें? छोटे बाजवा ने अपने हलफनामे में कहा था कि उनकी पारिवारिक कंपनी में उनका और उनकी पत्नी का कोई हिस्सा नहीं है। लेकिन बेवसाइट फैक्ट फोकस की ताजा रिपोर्ट में अमेरिकी सरकार के दस्तावेजों के हवाले से कहा गया है कि बाजवा परिवार की कुछ अमेरिकी कंपनियों में ले.जनरल बाजवा की पत्नी फारुख जेबा भी हिस्सेदार हैं।
इसके साथ ही अमेरिका में उनके नाम पर 13 रिहायशी बंगले और दो शॉपिंग मॉल हैं, जिसकी कीमत करीब 60 लाख अमेरिकी डॉलर बताई जा रही है। जाहिर है इतनी बड़ी रकम सिर्फ किसी निवेश से तो कमाई नहीं जा सकती। पाकिस्तानी जानकारों का मानना है कि इसमें सीपीईसी का भी हिस्सा हो सकता है। इतनी धांधलियों के बावजूद क्यों बाजवा अभी तक सीपीईसी में बने हुए हैं? इस सवाल का जवाब बड़े बाजवा यानि पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ही दे सकते हैं, जिन्होंने छोटे बाजवा को सीपीईसी के चेयरमैन के पद पर बिठाया था।
चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर का करार चीन और पाकिस्तान के बीच हुआ था और पाकिस्तान की सरकार इसे गेमचेंजर कहती रही है। लेकिन नवाज शरीफ की बर्खास्तगी के बाद जब इमरान खान प्रधानमंत्री बने तबसे पाकिस्तान की सिविल सरकार नहीं, बल्कि पाकिस्तानी आर्मी इस प्रोजेक्ट की कर्ता-धर्ता बन गई। इसके मद्देनजर पाकिस्तानी पार्लियामेंट में सीपीईसी बिल-2020 को कानूनी जामा पहना दिया गया। पाकिस्तानी पार्लियामेंट, सरकार और मीडिया इसके बारे में कोई सवाल नहीं उठा सकती है। एक तरह से कहा जा सकता है कि सीपीईसी का मसला पाकिस्तानी आर्मी और चीन की सरकार के बीच हो गया है। पाकिस्तानी जानकारों को आपत्ति इसी बात से है कि "आखिर यह कैसे हो सकता है..करार दो देशों की सरकारों के बीच हुआ था, आर्मी बीच में कैसे आ गई। कैसे कंट्रोल पाकिस्तान की सरकार के पास नहीं होकर आर्मी चीफ के पास है।"
पिछले साल जब आर्मी चीफ बड़े बाजवा और प्रधानमंत्री इमरान खान चीन के बुलावे पर बीजिंग गए थे, तब चीन के विदेशमंत्री ने सीपीईसी प्रोजेक्ट में हो रही देरी को लेकर दोनों को आड़े हाथों लिया था। इमरान खान के वित्तीय सलाहकार अब्दुल रजाक दाऊद ने उस दौरान बयान दिया था, सीपीईसी भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है, यह पाकिस्तान के हित में नहीं है। चीन को पता है कि बलूचिस्तान में किस तरह विरोध हो रहा है। यह प्रोजेक्ट अगर पूरा भी हो जाता है तो इसका उद्देश्य कभी पूरा नहीं होगा। चाइना को मालूम है कि प्रोजेक्ट पर लगने वाला पैसा तो सिर्फ इसकी सुरक्षा में जा रहा है, निर्माण में नहीं।
यह अलग बात है कि कुछ दिनों बाद रजाक अपने बयान से मुकर गए। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। चीन ने प्रोजेक्ट का जिम्मा बाजवा को सौंप दिया। इमरान देखते रह गए। कर भी क्या सकते थे? विपक्षी दलों के संगठन पीडीएम के मुताबिक इमरान खान तो महज फौज की कठपुतली हैं। चुनावों में धांधली कर उन्हें प्रधानमंत्री बनाया गया है। पाकिस्तान डेमोक्रेटक मूवमेंट ने इमरान खान के इस्तीफे के लेकर आंदोलन छेड़ दिया है। लेकिन उनका रुख पाकिस्तानी आर्मी के खिलाफ थोड़ा नरम है। उनका कहना है कि वो आर्मी के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि आर्मी के बाजवा जैसे जनरलों के खिलाफ हैं, जिनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। उनके खिलाफ जांच हो और जब तक जांच पूरी न हो, उनका पद पर बने रहना पाकिस्तानी आर्मी की छवि के लिए सही नहीं।
उधर पाकिस्तान का 'सभी मौसमों वाला दोस्त' चीन भी इन खबरों से परेशान है। सीपीईसी के पहले चरण का काम ही कई वजहों से रुका पड़ा है और बजट बढ़कर 87 अरब डॉलर तक जा पहुचा है। इसके बाद अभी तीन चरणों का काम बाकी है।
करार के मुताबिक, बजट का 90 फीसद खर्च पाकिस्तान के नाम पर कर्ज है, जो चीन ने देने का वादा किया है। लेकिन अब चीन का हाथ तंग है। पाकिस्तान के खैबर पख्तून राज्य की असेंबली ने भी अपने क्षेत्र में हो रहे सीपीईसी के काम को लेकर सवाल खड़े किए हैं। पाकिस्तानी मामलों के जनकारों के मुताबिक, यह अरबों डॉलर का प्रोजेक्ट नहीं, खरबों डॉलर का कर्जा होगा जिसे पाकिस्तान को चुकाना है। सीपीईसी का फंदा पाकिस्तान के गले पड़ चुका है जिसे यहां की जनता को चुकाना होगा।