बीजिंग: दक्षिणी चीन के सबसे बड़े शहर ग्वांगझू में अफ्रीकियों का कहना है कि विदेश से आए कोरोना वायरस संक्रमित लोगों के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए देश में कार्रवाई तेज होने के बाद उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित संदिग्ध समझा जा रहा है, उन्हें घरों से जबरन बाहर निकाला जा रहा है, मनमाने तरीके से पृथक रखा जा रहा है और उनकी सामूहिक स्तर पर जांच की जा रही है।
चीन का कहना है कि उसने कोविड-19 संक्रमण को मुख्य रूप से काबू कर लिया है लेकिन ग्वांगझू में नाइजीरियाई समुदाय से जुड़े हाल में सामने आए कई मामलों के कारण स्थानीय लोग और वायरस की रोकथाम में लगे अधिकारियों पर इस समुदाय के लोगों से भेदभाव के आरोप लग रहे हैं। करीब एक करोड़ 50 लाख आबादी वाले औद्योगिक केंद्र में स्थानीय प्राधिकारियों ने बताया कि संक्रमिइ पाए गए कम से आठ लोग ‘लिटिल अफ्रीका’ के नाम से जाने जाने वाले शहर के युएशियु इलाके के थे। इनमें से पांच नाइजीरियाई हैं। उनके घर में पृथक वास में रहने के बजाए आठ रेस्तरां और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर जाने की खबरें सामने आने के बाद लोगों ने उन्हें लेकर नाराजगी व्यक्त की है।
सरकारी मीडिया ने बताया कि इन लोगों के संपर्क में आए करीब 2,000 लोगों की संक्रमण संबंधी जांच करनी पड़ी या उन्हें पृथक वास में रखना पड़ा। ग्वांगझू में विदेशों से आए कोरोना वायरस के संक्रमित लोगों के 114 मामलों की गुरुवार को पुष्टि हुई थी, जिनमें से 16 लोग अफ्रीकी हैं और शेष लोग विदेशों से लौटने वाले चीनी नागरिक हैं। कई अफ्रीकियों ने कहा कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। उन्हें उनके घरों से निकाल दिया गया और होटल में भी उन्हें रहने की अनुमति नहीं दी गई।
अपने अपार्टमेंट से सोमवार को निकाल दिए गए यूगांडा के एक छात्र टोनी माथियास ने कहा, ‘मैं बिना भोजन के पिछले चार दिन से पुल के नीचे सो रहा हूं। मैं कहीं से भोजन नहीं खरीद सकता, कोई दुकान या रेस्तरां मुझे भोजन नहीं देगा। हम सड़क पर भिखारियों की तरह रह रहे हैं।’ एक नाइजीरियाई कारोबारी ने भी कहा कि उसे इस सप्ताह की शुरुआत में उसके अपार्टमेंट से निकाल दिया गया। अन्य अफ्रीकियों ने कहा कि उनके समुदाय की कोविड-19 संबंधी जांच की जा रही है और उन्हें घरों या होटलों में पृथक वास में रखा जा रहा है जबकि वे हाल में चीन से बाहर नहीं गए हैं।
चीन के विदेश मंत्रालय ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि अफ्रीकी समुदाय को लेकर लोगों में कुछ ‘गलतफहमियां’ पैदा हो गई हैं।
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